26-Jun-2024
26 जून, 2024
करेंट अफेयर्स
उत्तर प्रदेश (UP) दुनिया का पहला एशियाई किंग वल्चर संरक्षण और प्रजनन केंद्र स्थापित करेगा
- इसकी स्थापना महाराजगंज में की जाएगी।
- इसका नाम जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र रखा गया है।
- इस सुविधा का उद्देश्य वर्ष 2007 से अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की रेड लिस्ट में सूचीबद्ध गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की जनसंख्या में सुधार करना है।
- केंद्र यह सुनिश्चित करना चाहता है कि गिद्ध (Vulture) का स्वास्थ्य विकासशील हों तथा उनका साथी हो।
एशियाई किंग वल्चर
- इन्हें लाल सिर वाला गिद्ध या पांडिचेरी गिद्ध (Pondicherry Vulture) भी कहा जाता है।
- वे निवास स्थान के क्षति और घरेलू पशुओं में डाइक्लोफेनाक (एक गैर-स्टेरायडल सूजनरोधी दवा) के अत्यधिक उपयोग के कारण जोखिम में हैं, जो गिद्धों के लिये जहरीला हो जाता है।
- यह भारत में पाई जाने वाली गिद्ध की 9 प्रजातियों में से एक है।
- भारत में पाई जाने वाली गिद्ध प्रजातियाँ और उनकी संरक्षण स्थिति
- भारतीय गिद्ध या लंबी चोंच वाला गिद्ध (जिप्स इंडिकस)- गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- भारतीय सफेद पीठ वाला गिद्ध (जिप्स बंगालेंसिस)- गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- लाल सिर वाला गिद्ध (सरकोजिप्सकैल्वस)- गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- पतली चोंच वाला गिद्ध (जिप्स टेनुइरोस्ट्रिस)- गंभीर रूप से संकटग्रस्त
- मिस्र का गिद्ध (नियोफ्रोनपरकनोप्टेरस)- संकटग्रस्त
- सिनसेरस गिद्ध (एजिपियसमोनाचस)- संकटग्रस्त
- दाढ़ी वाला गिद्ध (जिपेटसबारबेटस)- संकटग्रस्त
- हिमालयी गिद्ध (जिप्स हिमालयांसिस)- संकटग्रस्त
- ग्रिफाॅन गिद्ध (जिप्स फुलवस)- कम चिंताजनक
श्रीनगर को विश्व शिल्प परिषद (WCC) द्वारा विश्व शिल्प शहर के रूप में मान्यता दी गई
- इस मान्यता से हथकरघा और हस्तशिल्प क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा, जिससे पर्यटन तथा बुनियादी ढाँचे के विकास को लाभ होगा।
- वर्ष 2021 में श्रीनगर ने शिल्प और लोक कला के तहत संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) क्रिएटिव सिटी का खिताब भी अर्जित किया।
- इस श्रेणी में यह जयपुर के बाद भारत का दूसरा शहर है।
कश्मीर के शिल्प के बारे में:
- यह मध्य एशियाई देशों से काफी प्रभावित है और सदियों पुरानी हस्तशिल्प प्रथाओं के लिये जाना जाता है।
- श्रीनगर में 20,822 पंजीकृत कारीगर हैं जो कागज़ की लुगदी, अखरोट की लकड़ी की नक्काशी, हाथ से बुने हुए कालीन, कानी शॉल, खतमबंद, पश्मीना और सोज़नी शिल्प में शामिल हैं।
- श्रीनगर में कुल शिल्प-संबंधी कार्यबल लगभग 1.76% है।
- जम्मू-कश्मीर की समग्र अर्थव्यवस्था में हस्तशिल्प का योगदान वर्ष 2016-17 तक 2.64% था।
विश्व शिल्प परिषद (World Crafts Council- WCC)
- इसकी स्थापना 12 जून, 1964 को न्यूयॉर्क में प्रथम विश्व शिल्प परिषद महासभा में की गई थी।
- यह कुवैत स्थित एक संगठन है जो विश्व भर में पारंपरिक शिल्प की मान्यता और संरक्षण पर कार्य कर रहा है।
- स्थापना के बाद से, विश्व शिल्प परिषद AISBL कई वर्षों से परामर्शदात्री स्थिति के तहत UNESCO से संबद्ध रही है।
- उद्देश्य: सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में शिल्प की स्थिति को मज़बूत करना।
- लक्ष्य: प्रोत्साहन, सहायता और सलाह देकर शिल्पकारों के बीच भाईचारे को बढ़ावा देना।
- परिषद सम्मेलनों, अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं, शोध अध्ययनों, व्याख्यानों, कार्यशालाओं, प्रदर्शनियों और अन्य गतिविधियों के माध्यम से सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देती है तथा सहायता करती है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV LEX-03) पुष्पक का तीसरा और अंतिम लैंडिंग प्रयोग सफलतापूर्वक किया।
यह परीक्षण कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज (Aeronautical Test Range- ATR) में हुआ।
पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान (RLV LEX-03) मिशन का लैंडिंग प्रयोग
- मिशन के दौरान पुष्पक वाहन को भारतीय वायु सेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से 4.5 किमी. की ऊँचाई पर छोड़ा गया।
- छोड़े जाने के बाद, वाहन ने स्वचालित रूप से अपना मार्ग सही करने के लिये कार्य किया और रनवे की मध्य रेखा पर सटीक रूप से उतरा।
- 320 किमी./घंटा से अधिक की उच्च गति वाली लैंडिंग को वाहन के ब्रेक पैराशूट और लैंडिंग गियर ब्रेक का उपयोग करके सफलतापूर्वक लगभग 100 किमी./घंटा तक धीमा कर दिया गया।
- प्रदर्शित प्रौद्योगिकियाँ और क्षमताएँ
- सटीक लैंडिंग: LEX-03 ने नियंत्रित लैंडिंग के लिये वाहन को मार्गदर्शन देने हेतु बहु-संवेदी संलयन का उपयोग किया।
- स्वायत्त उड़ान: पुष्पक यान ने उतरते समय मार्ग संशोधन सहित स्वयं उतरने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया।
- पुन: प्रयोज्य डिज़ाइन: इस मिशन में पिछली उड़ान के प्रमुख भागों का पुन: उपयोग किया गया, जिससे पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहनों (RLV) की लागत-बचत क्षमता का प्रदर्शन हुआ।
चार सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (AFMS) अधिकारियों ने 43वें विश्व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य खेलों में 32 पदक जीते
- यह फ्राँस के सेंट-ट्रोपेज़ में आयोजित किया गया था।
- ये अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल संजीव मलिक, मेजर अनीश जॉर्ज, कैप्टन स्टीफन सेबेस्टियन और कैप्टन डानिया जेम्स हैं।
विश्व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य खेल
- इसकी स्थापना वर्ष 1978 में हुई थी और इसे स्वास्थ्य पेशेवरों के लिये ओलंपिक खेल भी कहा जाता है।
- इसे चिकित्सा समुदाय के लिये प्रमुख वैश्विक खेल आयोजन के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- इस आयोजन में प्रतिवर्ष 50 से अधिक देशों के 2500 से अधिक प्रतिभागी भाग लेते हैं।