06-May-2025
रेबीज़
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
चर्चा में क्यों?
केरल में तीन बच्चों की रेबीज़ के कारण मृत्यु हो गई, जबकि उन्हें रेबीज़ का टीका लगाया गया था। इससे टीके की प्रभावशीलता और रेबीज़ के संबंध में बेहतर निवारक उपायों और जागरूकता की आवश्यकता पर चिंताएँ बढ़ गई हैं।
रेबीज़: परिचय
- रेबीज़ एक टीका-निवारणीय, जूनोटिक वायरल रोग है, जो कुत्तों, बिल्लियों और बंदरों जैसे संक्रमित पशुओं की लार में पाए जाने वाले RNA वायरस के कारण होता है।
- यह रोग आमतौर पर किसी संक्रमित पशु के काटने से संक्रमित होता है, जिससे लार के माध्यम से वायरस घाव में प्रवेश कर जाता है।
- एक बार नैदानिक लक्षण प्रकट होने पर, रेबीज़ लगभग हमेशा घातक होता है तथा आमतौर पर हृदय-श्वसन विफलता के कारण 4 दिन से 2 सप्ताह के भीतर मृत्यु हो जाती है।
- मनुष्यों में रेबीज़ के 99% संक्रमण के लिये घरेलू कुत्ते ज़िम्मेदार हैं। ऊष्मायन अवधि आमतौर पर 2-3 महीने तक चलती है, लेकिन दुर्लभ मामलों में यह एक सप्ताह से लेकर एक साल या उससे अधिक तक हो सकती है।
रोकथाम: पालतू पशुओं का टीकाकरण, वन्यजीवों के संपर्क से बचना तथा संभावित संपर्क के पश्चात तत्काल चिकित्सा देखभाल प्राप्त करना, विशेष रूप से लक्षण उभरने से पहले, रेबीज़ को रोका जा सकता है।
लक्षण: रेबीज़ के शुरुआती लक्षण फ्लू जैसे हो सकते हैं और कई दिनों तक बने रह सकते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं: बुखार, सिरदर्द, मतली और उल्टी, चिंता, अति सक्रियता, निगलने में कठिनाई, अत्यधिक लार आना, मतिभ्रम और अनिद्रा।