07-May-2025
संक्षिप्त समाचार
संक्षिप्त समाचार
ऑपरेशन सिंदूर
- भारत ने पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में नौ आतंकवादी स्थलों को निशाना बनाकर 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।
- हमलों का उद्देश्य स्थिति को और अधिक खराब किये बिना आतंकवादी बुनियादी ढाँचे को नष्ट करना था, तथा यह सुनिश्चित करना था कि कोई भी पाकिस्तानी सैन्य लक्ष्य प्रभावित न हो।
बगलिहार बाँध
- भारत ने चिनाब नदी पर बगलिहार बाँध के माध्यम से पाकिस्तान की ओर जाने वाले जल प्रवाह को रोक दिया है तथा झेलम नदी पर किशनगंगा बाँध पर भी इसी प्रकार की कार्रवाई करने की योजना बना रहा है।
- बगलिहार बाँध: जम्मू और कश्मीर में चिनाब नदी पर स्थित यह 900 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना दो चरणों में पूरी हुई, जिसकी स्वीकृति 1996 में शुरू हुई तथा दूसरे चरण की स्वीकृति 2008 में मिली।
- किशनगंगा बाँध: जम्मू-कश्मीर में स्थित, यह 330 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना किशनगंगा नदी के पानी को मोड़ती है, जिस पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है। हेग कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ने 2013 में कुछ शर्तों के तहत पानी को मोड़ने की अनुमति दी थी।
- जल विवाद: भारत की कार्रवाई का उद्देश्य जल प्रवाह को विनियमित करना है, जिसके कारण साझा नदी संसाधनों को लेकर पाकिस्तान के साथ तनाव पैदा हो रहा है।
ऑपरेशन शिवा
- पहलगाम आतंकवादी हमले और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के उत्तर में, भारतीय सुरक्षा बलों ने अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित करने के लिये ऑपरेशन शिवा शुरू किया है।
- अनंतनाग ज़िले में 13,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में बर्फ का शिवलिंग स्थापित है, जो भगवान शिव का प्रतीक है, साथ ही छोटे बर्फ के स्तंभ भी हैं जो पार्वती और गणेश का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- यह तीर्थयात्रा श्रावण मास के दौरान होती है, जब बर्फ का शिवलिंग अपने पूर्ण आकार में पहुंच जाता है, तथा इसकी उत्पत्ति का वर्णन संस्कृत पुस्तक बृंगेश संहिता में किया गया है।
विश्व अस्थमा दिवस 2025
- विश्व अस्थमा दिवस मई माह के पहले मंगलवार को मनाया जाता है।
- विश्व अस्थमा दिवस 2025, 6 मई को मनाया जाएगा |
- थीम 2025: “श्वसन उपचार को सभी के लिये सुलभ बनाना”
त्रिशूर पूरम
- त्रिशूर पूरम केरल का एक भव्य, सात दिवसीय मंदिर उत्सव है, जो बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है तथा विभिन्न धर्मों के लोगों को एकजुट करता है।
- 1796 में शक्थान थंपुरन द्वारा शुरू किये गए इस उत्सव में 50 सुसज्जित हाथियों का भव्य जुलूस और शानदार आतिशबाजी का प्रदर्शन होता है।
- हिंदू परंपराओं में गहराई से निहित यह त्योहार केरल की सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाता है तथा लोगों में एकता और गौरव को बढ़ावा देता है।