24-Apr-2025
सिंधु जल संधि
वैश्विक मामले
चर्चा में क्यों?
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद कई कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें 1960 की सिंधु जल संधि को निलंबित करना भी शामिल है।
सिंधु जल संधि (IWT)
- 19 सितंबर, 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किये गये थे, जिसमें विश्व बैंक मध्यस्थ की भूमिका में था।
- यह संधि सिंधु नदी और इसकी पांच सहायक नदियों: सतलुज, ब्यास, रावी, झेलम और चिनाब के जल के उपयोग के संबंध में सहयोग और सूचना साझा करने के लिये एक रूपरेखा स्थापित करती है।
प्रमुख प्रावधान
- जल बँटवारा
- यह संधि सिंधु नदी प्रणाली के जल को दो श्रेणियों में विभाजित करती है,
- पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, चिनाब और झेलम) अप्रतिबंधित उपयोग के लिये पाकिस्तान को आवंटित की गई हैं।
- पूर्वी नदियाँ (रावी, व्यास और सतलुज) भारत को अप्रतिबंधित उपयोग के लिये आवंटित की गई हैं।
- 80% जल पाकिस्तान को आवंटित है, जबकि 20% जल भारत को आवंटित है।
- यह संधि सिंधु नदी प्रणाली के जल को दो श्रेणियों में विभाजित करती है,
- स्थायी सिंधु आयोग
- दोनों देशों को एक स्थायी सिंधु आयोग स्थापित करना आवश्यक है, जो जल-संबंधी मुद्दों पर चर्चा करने के लिये प्रतिवर्ष बैठक करता है।
- विवाद समाधान
- संधि में तीन-चरणीय विवाद समाधान प्रक्रिया की रूपरेखा दी गई है।
- विवादों का निपटारा स्थायी सिंधु आयोग के माध्यम से किया जा सकता है।
- यदि इसका समाधान नहीं हुआ तो विवाद अंतर-सरकारी स्तर तक बढ़ सकता है।
- यदि फिर भी मामला नहीं सुलझता है, तो विश्व बैंक द्वारा नियुक्त एक तटस्थ विशेषज्ञ हस्तक्षेप कर सकता है। आगे की अपील विश्व बैंक द्वारा स्थापित मध्यस्थता न्यायालय में की जा सकती है।
- संधि में तीन-चरणीय विवाद समाधान प्रक्रिया की रूपरेखा दी गई है।
प्रमुख प्रावधान
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