16-Jun-2025
हड़प्पा सभ्यता
इतिहास
चर्चा में क्यों?
केरल विश्वविद्यालय के पुरातत्त्वविदों ने गुजरात के कच्छ में लाखापर गाँव के पास 5,300 साल पुरानी प्रारंभिक हड़प्पा बस्ती की खोज की है।
हड़प्पा सभ्यता के बारे में
- परिचय
- इसे सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है।
- समय अवधि : 6000 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व
- प्रारंभिक हड़प्पा चरण: 6000-2600 ईसा पूर्व (गठनकाल)
- परिपक्व हड़प्पा चरण: 2600-1900 ईसा पूर्व (नगरीय उत्कर्ष)
- परवर्ती हड़प्पा चरण: 1900-1300 ईसा पूर्व (पतन काल)
- प्रमुख कलाकृतियाँ: मुहरें (स्टीटाइट), ईंटें (पकी और बिना पकी), मोती, ताँबे और कांस्य के उपकरण।
- बस्तियाँ और नियोजन:
- अब तक 2000 से अधिक स्थल खोजे जा चुके हैं, जिनमें अधिकांश सरस्वती-सिंधु क्षेत्र में स्थित हैं।
- प्रमुख नगर: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, राखीगढ़ी, धौलावीरा, गंवेरीवाला।
- नगर दो भागों में विभाजित होते थे:
- गढ़ (Citadel): ऊँचा क्षेत्र, संभवतः धार्मिक या प्रशासनिक प्रयोजन के लिये।
- निचला नगर: आवासीय क्षेत्र।
- उल्लेखनीय स्थल: मोहनजोदड़ो, जहाँ महास्नानागार, गोदाम, ग्रिड पैटर्न सड़कें तथा उन्नत जल निकासी व्यवस्था पाई गई थी।
आजीविका एवं कृषि
- फसलें : गेहूँ, जौ, मसूर, चना, तिल; गुजरात में बाज़रा; चावल (दुर्लभ)।
- पशु : गाय-बैल, भेड़, बकरी, भैंस, सूअर; जंगली प्रजातियाँ जैसे – जंगली सूअर, हिरण।
- उपकरण एवं तकनीक : टेराकोटा हल (जैसे, कालीबंगन), नहर के अवशेष (शोर्तुघई), जलाशयों के माध्यम से सिंचाई (जैसे, धौलावीरा)।
समाज और अर्थव्यवस्था
- शावाधान क्रियाएँ : सामान्यतः सरल; कुछ कब्रों में आभूषण जैसे शंख की अँगूठी, ताँबे का दर्पण मिले।
- कलाकृतियों
- उपयोगी वस्तुएँ: मिट्टी के बर्तन, पिसाई-पत्थर, सुई आदि।
- विलासिता की वस्तुएँ: फैएंस के बर्तन, सोने के आभूषण, दुर्लभ मनके।
- ये विलासिता की वस्तुएँ अधिकतर प्रमुख नगरों (जैसे – मोहनजोदड़ो) में पाई गईं, छोटे स्थलों में नहीं।
शिल्पकला और उत्पादन
- चन्हुदड़ो: मनके निर्माण, धातु-कर्म, मुहर निर्माण के लिये प्रसिद्ध।
- प्रमुख सामग्री: कार्नेलियन, जैस्पर, शंख, फैएंस,टेराकोटा।
- बालाकोट और नागेश्वर जैसे केंद्र शैल वस्तुओं में विशेषज्ञता रखते थे।
- उत्पादन स्थलों की पहचान: पत्थर के टुकड़ों जैसे अपशिष्ट अवशेषों से की गई।
व्यापारव्यापार और कच्चे माल की आपूर्ति
स्रोत स्थल:
- लैपिस लाजुली – अफगानिस्तान (शोर्तुघई)
- कार्नेलियन – भरूच (गुजरात)
- ताँबा – खेतड़ी (राजस्थान)
- सोना – दक्षिण भारत
विदेश व्यापार:
- ओमान (मगन): हड़प्पाकालीन बर्तन मिले; मेसोपोटामिया के साथ समुद्री व्यापार के साक्ष्य मिले।
- मेसोपोटामिया के ग्रंथों में मेलुहा (संभवतः हड़प्पा क्षेत्र) का उल्लेख मिलता है।
मुहरें, लिपि और माप-तौल
- मुहरें : प्रतीकों और लेखन सहित;; व्यापार में प्रमाणीकरण के लिये उपयोग।
- लिपि : अअभी तक अपठनीय; लगभग 375–400 संकेत; संभवतः दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी।
- भार प्रणाली: घनाकार चर्ट पत्थर; द्विआधारी और दशमलव प्रणाली पर आधारित; मानकीकृत।
हड़प्पा सभ्यता का पतन: संभावित कारण जलवायु परिवर्तन, नदी परिवर्तन, संसाधनों का अति प्रयोग थे।
पुरातत्त्वीय खोजें
- प्रारंभिक खोजकर्त्ता: लेक्ज़ेंडर कनिंघम।
- प्रमुख खोजें:
- 1921: दया राम साहनी - हड़प्पा
- 1922: आरडी बनर्जी - मोहनजोदड़ो
- 1924: जॉन मार्शल ने सिंधु घाटी सभ्यता की घोषणा की
- 1947 के बाद: भारतीय पुरातत्त्वविदों ने भारत में कालीबंगन, लोथल, धौलावीरा, राखीगढ़ी जैसे स्थलों पर ध्यान केंद्रित किया।
MCQ के माध्यम से तैयारीQ. हड़प्पा सभ्यता में कौन-सा स्थल मनका निर्माण और धातुकर्म के लिये प्रसिद्ध है? (1) लोथल उत्तर: (3) चन्हुदड़ो |