24-Sep-2024
सशस्त्र बल (विशेष शक्तियाँ) अधिनियम, 1958 (AFSPA)
भारतीय राजनीति
चर्चा में क्यों?
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में जारी जातीय हिंसा के कारण मणिपुर सरकार और केंद्र द्वारा सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) की समीक्षा की जानी है। 30 सितंबर को मणिपुर में AFSPA के छह महीने के आवर्ती विस्तार की समाप्ति हो रही है।
नोट:
- BRI में शुरू में बांग्लादेश-चीन-भारत-म्याँमार (BCIM) आर्थिक गलियारा शामिल था।
- भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर आपत्ति जताते हुए BRI में शामिल न होने का निर्णय लिया, जो पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर (PoK) से होकर गुज़रता है।
- भारत की अनुपस्थिति के परिणामस्वरूप, BCIM गलियारा रुक गया है और इसका स्थान चीन-म्याँमार आर्थिक गलियारे ने ले लिया है।
AFSPA 1958:
- अधिनियम की उत्पत्ति
- वर्ष 1942 में, भारत छोड़ो आंदोलन की प्रतिक्रिया में, अंग्रेजों ने इस अधिनियम को उसके मूल स्वरूप में लागू किया।
- यह अधिनियम मूलतः एक अध्यादेश के रूप में प्रस्तुत किया गया था तथा तत्पश्चात वर्ष 1958 में इसे अधिनियम के रूप में अधिसूचित किया गया।
- स्वतंत्रता के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस अधिनियम को यथावत बनाए रखने का निर्णय लिया।
- दशकों पहले, जब पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा बढ़ गई और राज्य सरकारों के लिये इसे रोकना कठिन हो गया, तो इस अधिनियम को लागू किया गया।
- अधिनियम के प्रावधान
- संपूर्ण राज्य या केंद्रशासित प्रदेश या उसके किसी भाग को केंद्र सरकार, राज्य के राज्यपाल या केंद्रशासित प्रदेश के प्रशासक द्वारा अशांत क्षेत्र घोषित किया जा सकता है।
- यह अधिनियम सशस्त्र बलों को अशांत क्षेत्रों में व्यवस्था बहाल करने के लिये असाधारण अधिकार और प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
- अधिनियम में प्रावधान है कि गिरफ्तार व्यक्ति और ज़ब्त संपत्ति को यथासंभव कम देरी के साथ पुलिस को सौंप दिया जाएगा।
- यह अधिनियम अपनी आधिकारिक क्षमता में सद्भावपूर्वक कार्य करने वाले व्यक्तियों को संरक्षण प्रदान करता है।
- अभियोजन की अनुमति केवल केंद्र सरकार की मंज़ूरी के बाद ही दी जाती है।