28-Oct-2024
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन: अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की प्रगति
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
चर्चा में क्यों?
भारत अपनी अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति के लिये तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और जैवप्रौद्योगिकी विभाग (DBT) ने एक अभूतपूर्व सहयोग शुरू करने के लिये हाथ मिलाया है। इस साझेदारी का उद्देश्य जैवप्रौद्योगिकी को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत करना है, जिससे वैज्ञानिक नवाचार के नए आयाम खुलेंगे।
चर्चा में क्यों?
- भारत की योजना वर्ष 2035 तक अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की है, जिसका नाम "भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन" होगा।
- ISRO-DBT समझौता ज्ञापन सूक्ष्मगुरुत्व अनुसंधान, अंतरिक्ष जैवप्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष जैव विनिर्माण जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- BioE3 नीति का लक्ष्य वर्ष 2030 तक भारत की जैव अर्थव्यवस्था को 300 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है।
- सरकार अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही है तथा नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा दे रही है।
ISRO के बारे में
- यह भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी है।
- यह भारत और मानवता के लाभ के लिये अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग पर केंद्रित है।
- ISRO अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से विभिन्न राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये काम करता है।
- उपलब्धियाँ और योगदान
- ISRO का संगठनात्मक ढाँचा
- मुख्यालय: बंगलूरू
- प्रमुख केंद्र:
- विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC): प्रक्षेपण यान विकास
- यू.आर. राव सैटेलाइट सेंटर (URSC): सैटेलाइट डिजाइन और विकास
- सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC): उपग्रह और प्रक्षेपण यान एकीकरण और प्रक्षेपण
- द्रव प्रणोदन प्रणाली केंद्र (LPSC): द्रव प्रणोदन प्रणाली
- अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (SAC): उपग्रह सेंसर और अनुप्रयोग
- राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC): सुदूर संवेदन डेटा प्रसंस्करण और प्रसार