27-Aug-2025
भारत-यूरेशियन आर्थिक संघ मुक्त व्यापार समझौता वार्ता
विविध
चर्चा में क्यों?
अमेरिका द्वारा व्यापार वार्ताओं में रुकावट डालने तथा टैरिफ की धमकियाँ देने के बाद, भारत और EAEU ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की वार्ता शुरू करने हेतु संदर्भ शर्तों पर हस्ताक्षर किये हैं।
यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU)➔ स्थापना: यूरेशियन आर्थिक संघ पर संधि (2015) ➔ सदस्य: आर्मेनिया, बेलारूस, कज़ाख़स्तान, किर्गिस्तान, रूस (सबसे बड़ा सदस्य) ➔ मुख्यालय: मास्को, रूस ➔ द्विपक्षीय व्यापार (2024): 69 बिलियन अमेरिकी डॉलर (वर्ष 2023 से 7% अधिक) |
चुनौतियाँ
- उच्च व्यापार घाटा: रूस के साथ (2024-25 में 58.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर), मुख्य रूप से हाइड्रोकार्बन आयात से।
- भू-राजनीतिक संवेदनशीलता: नाटो/अमेरिका संबंधों में तनाव का खतरा।
- घरेलू उद्योग: सस्ते आयात से खतरा; सुरक्षा की आवश्यकता।
- कम FTA उपयोग: भारत में 25% उपयोग बनाम विकसित देशों में 70-80%।
- स्वच्छता एवं फाइटोसेनेटरी (पादप स्वच्छता) मानक: सख्त EAEU नियम भारतीय कृषि निर्यात में बाधा डालते हैं।
- गैर-टैरिफ बाधाएँ: नौकरशाही स्तर पर विलंब, जटिल सीमा शुल्क, नियामक मुद्दे।
- डॉलर पर निर्भरता: व्यापार अभी भी अमेरिकी डॉलर पर निर्भर है, रुपया-रूबल के उपयोग हेतु सीमित प्रयास।
साझेदारी को मज़बूत करना
- आर्थिक सहयोग: रूस के साथ वर्ष 2025-2030 कार्यक्रम को अंतिम रूप देना, सभी EAEU सदस्यों तक विस्तार करना (ऊर्जा, कृषि, उद्योग, शिक्षा और संस्कृति)।
- निर्यात में विविधता लाना: फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और सेवाएँ- हाइड्रोकार्बन पर निर्भरता कम करने लिये।
- स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली: रुपया-रूबल व्यापार में वृद्धि।
- बहुपक्षीय आउटरीच: ब्रिक्स के साथ सहभागिता, RCEP को पुनः शुरू करना।
- कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना: INSTC, नॉर्दर्न सी/उत्तर सागर मार्ग, चेन्नई-व्लादिवोस्तोक कॉरिडोर के माध्यम से लॉजिस्टिक्स को बढ़ाना।