19-Sep-2024
भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि की समीक्षा और संशोधन की मांग की
चर्चित हस्तियाँ
चर्चा में क्यों
भारत, बदलती जल मांग, जलवायु परिवर्तन और क्षेत्रीय तनाव का हवाला देते हुए, पाकिस्तान के साथ वर्ष 1960 की सिंधु जल संधि की समीक्षा और उसे अद्यतन करने पर ज़ोर दे रहा है। प्रस्तावित संशोधनों का उद्देश्य जल प्रबंधन में सुधार करना, समान वितरण सुनिश्चित करना और बुनियादी ढाँचे से संबंधित विवादों का समाधान करना है
सिंधु जल संधि (IWT) :
- भारत और पाकिस्तान ने नौ वर्षों की बातचीत के बाद 19 सितंबर, 1960 को सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर किये , जिसमें विश्व बैंक भी एक हस्ताक्षरकर्त्ता था
- यह संधि सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल के उपयोग पर दोनों पक्षों के बीच सहयोग और सूचना के आदान-प्रदान के लिये एक तंत्र स्थापित करती है
- यह हिमालयी जल निकासी प्रणाली की तीन प्रमुख नदी घाटियों में से एक है
- सिंधु
- गंगा और
- ब्रह्मपुत्र
- इसका विस्तार 3,000 किलोमीटर से अधिक है।
- सिंधु नदी पाकिस्तान की सबसे लंबी नदी है और एशिया की सबसे लंबी नदियों में से एक है
- सिंधु नदी प्रणाली और इसकी पाँच सहायक नदियाँ सतलुज, ब्यास, राबी, झेलम और चिनाब भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी भाग से प्रवाहित होती हैं, तथा अपने मार्ग में गहरी घाटियाँ बनाती हैं और विविध पारिस्थितिकी तंत्रों को बनाए रखती हैं
- सिंधु नदी का उद्गम: यह मानसरोवर झील के पास कैलाश पर्वत शृंखला में तिब्बती क्षेत्र में बोखार चू के पास एक ग्लेशियर से निकलती है
- सिंधु नदी का मार्ग
- सिंधु नदी लेह में जांस्कर नदी से और बाद में श्योक नदी से मिलती है
- मिथनकोट के निकट इसे पाँच पूर्वी सहायक नदियों से पानी मिलता है: झेलम, चिनाब, राबी, ब्यास और सतलुज, जिन्हें सामूहिक रूप से पंचनद के नाम से जाना जाता है
- सिंध प्रांत में नदी तलछट जमा करती है, जिससे कराची के पास अरब सागर में गिरने से पहले सिंधु नदी डेल्टा का निर्माण करती है।