30-Sep-2024
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा इथेनॉल उत्पादक और उपभोक्ता बन गया है
पर्यावरण और पारिस्थितिकी
चर्चा में क्यों?
खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री प्रल्हाद जोशी ने यह जानकारी दी कि भारत अब विश्व का तीसरा सबसे बड़ा इथेनॉल उत्पादक और उपभोक्ता बन गया है। उन्होंने चीनी और जैव-ऊर्जा सम्मेलन में अपने संबोधन में सरकार के प्रयासों को उज़ागर किया, जो चीनी उद्योग और नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिये किये जा रहे हैं। उन्होंने किसानों की भूमिका की सराहना की, जो अन्नदाता से ऊर्जादाता बनने की दिशा में अग्रसर हैं। भारत के इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम ने वर्ष 2014 से अब तक 11.80 बिलियन अमेरिकी डॉलर (99000 करोड़ रुपए) की विदेशी मुद्रा की बचत की है।
इथेनॉल
- इसे एथिल अल्कोहल (C2H5OH) के नाम से भी जाना जाता है, यह एक स्पष्ट ,रंगहीन तरल है जिसकी विशिष्ट गंध होती है।
- यह 99.9% शुद्ध अल्कोहल है।
- इसे नवीकरणीय ईंधन माना जाता है और इसका उत्पादन गन्ना, मक्का और गेहूँ से किया जा सकता है, जिनमें स्टार्च की मात्रा अधिक होती है।
- इसमें मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा के कारण दहन क्षमता बढ़ाने के लिये इसे गैसोलीन के साथ मिश्रित किया जा सकता है, जिससे उत्सर्जन कम होता है।
- उपयोग
- ईंधन: सामान्य मिश्रणों में E10 (10% इथेनॉल, 90% गैसोलीन) और E85 (85% इथेनॉल तक) शामिल हैं। यह शुद्ध गैसोलीन की तुलना में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है।
- इसका उपयोग फार्मास्यूटिकल्स, सौंदर्य प्रसाधनों और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों में विलायक के रूप में किया जाता है।
- इसका उपयोग रसायन, प्लास्टिक और सिंथेटिक फाइबर के उत्पादन में किया जाता है।
- यह बीयर, वाइन और स्पिरिट जैसे मादक पेय पदार्थों का मुख्य घटक है।
इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम
- इसे वर्ष 2003 में पेट्रोल में 5% इथेनॉल मिश्रण के साथ शुरू किया गया था।
- यह भारत सरकार द्वारा पेट्रोल में नवीकरणीय और पर्यावरण अनुकूल ईंधन इथेनॉल के उपयोग को बढ़ावा देने की एक पहल है।
- इसका उद्देश्य अन्य देशों से ईंधन के आयात को कम करना, विदेशी मुद्रा का संरक्षण करना और चीनी उद्योग में मूल्य संवर्द्धन को बढ़ाना है।
- सरकार ने वर्ष 2021-22 तक पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण के लिये 10% मिश्रण लक्ष्य (E10) और वर्ष 2025-26 तक 20% मिश्रण लक्ष्य (E20) रखा है।
- भारत ईंधन में इथेनॉल मिश्रण करके वर्ष 2014 से अब तक 17.3 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल के आयात का विकल्प चुनने में सक्षम रहा है।
- सरकार ने वर्ष 2014 से अब तक डिस्टिलर्स को 1.45 ट्रिलियन रुपए और किसानों को 87,558 करोड़ रुपए का भुगतान किया है।
- ईंधन में इथेनॉल के उपयोग से पिछले दशक में कार्बन उत्सर्जन में 51.9 मिलियन मीट्रिक टन की कमी आई है।