14-Jul-2025

CUET UG 2025: नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया क्या है और इसका आपके रिज़ल्ट पर क्या असर पड़ेगा?

परीक्षा अपडेट

जब समानता ही सफलता की कुंजी बन जाए

कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET) का स्वरूप ही कुछ ऐसा है जिसमें विद्यार्थी देश के अलग-अलग हिस्सों से, अलग-अलग समय और शिफ्ट्स में परीक्षा देते हैं। ऐसे में सभी को समान और निष्पक्ष मूल्यांकन देना परीक्षा आयोजन संस्था National Testing Agency (NTA) की बड़ी ज़िम्मेदारी होती है।

क्या आपने कभी सोचा है कि एक ही परीक्षा में दो अलग-अलग शिफ्ट्स के पेपर की कठिनाई अलग होने पर निष्पक्षता कैसे बनी रहती है? अगर आपने कठिन शिफ्ट में अच्छा किया, लेकिन आपकी रॉ स्कोर किसी आसान शिफ्ट में बैठे विद्यार्थी से कम रह गई, तो क्या आपको नुकसान होगा?

नहीं। इसी असमानता को दूर करने के लिए “नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया” को अपनाया जाता है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि किसी भी विद्यार्थी का स्कोर उसकी शिफ्ट की कठिनता के आधार पर संतुलित रूप से जांचा जाए, जिससे सभी को एक समान अवसर प्राप्त हो।

नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया की आवश्यकता क्यों पड़ती है?

CUET UG जैसी बड़ी परीक्षा एक ही दिन में कराना व्यावहारिक रूप से असंभव होता है। इसलिए इसे कई दिनों और शिफ्ट्स में आयोजित किया जाता है। उदाहरण के लिए:

  • एक ही विषय (मान लीजिए — इंग्लिश) की परीक्षा 4 अलग-अलग शिफ्ट्स में आयोजित हुई।
  • हर शिफ्ट में प्रश्नपत्र अलग होता है, हालांकि विषय और पैटर्न वही रहता है।

लेकिन यहीं एक असमानता पैदा होती है — हर प्रश्नपत्र की कठिनाई समान नहीं होती। कोई पेपर थोड़ा आसान होता है, कोई अपेक्षाकृत कठिन। यदि सभी विद्यार्थियों के स्कोर की तुलना केवल रॉ स्कोर (Raw Marks) से की जाए, तो कठिन पेपर में बैठे विद्यार्थियों के साथ अन्याय होगा।

इसी असंतुलन को दूर करने के लिए, NTA नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया का उपयोग करती है, जो विद्यार्थियों के प्रदर्शन को एक तुलनात्मक और वैज्ञानिक आधार पर आंकती है।

CUET UG 2025 में नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया कैसे काम करती है?

CUET UG 2025 में नॉर्मलाइजेशन का आधार Percentile Score है। NTA प्रत्येक शिफ्ट के लिए विद्यार्थियों के स्कोर को Percentile Rank में बदलती है और फिर सभी शिफ्ट्स के विद्यार्थियों को एक समान स्केल पर लाकर तुलना करती है।

Step-by-Step नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया:

1. Raw Marks Calculation:
पहले विद्यार्थियों के उत्तर पुस्तिकाओं के आधार पर उनके वास्तविक अंक (Raw Marks) निकाले जाते हैं।

2. Percentile Score निकालना (100-point scale पर):
प्रत्येक शिफ्ट में यह देखा जाता है कि विद्यार्थी ने बाकी विद्यार्थियों की तुलना में कितना अच्छा प्रदर्शन किया है। उदाहरण के लिए, यदि आपने अपनी शिफ्ट में 98% विद्यार्थियों से बेहतर किया, तो आपका Percentile Score 98 होगा।

3. Multiple Shifts की तुलना:
 अब, मान लीजिए दो अलग-अलग शिफ्ट्स में अलग-अलग विद्यार्थियों ने एक जैसा प्रदर्शन किया है, तो उन्हें नॉर्मलाइजेशन के माध्यम से समान स्कोर दिया जाएगा, भले ही उनकी Raw Marks में फर्क हो।

4. Final Normalized Score तैयार करना:
 अब सभी शिफ्ट्स के Percentile Scores को एक गणितीय मॉडल के जरिए Normalized Score में बदला जाता है। यह स्कोर ही Merit List के लिए उपयोग होता है।

5. Final Result:
 विद्यार्थी के Raw Marks, Percentile Score और Normalized Score — तीनों ही परिणाम में दिखाए जाते हैं। लेकिन एडमिशन के लिए केवल Normalized Score ही मान्य होता है।


Percentile Score और Percentage में क्या अंतर है?

अक्सर विद्यार्थी Percentile Score और Percentage को एक जैसा मान लेते हैं, लेकिन ये दोनों पूरी तरह से अलग गणनाएं हैं और इनका मतलब भी बिल्कुल अलग होता है।

Percentage (प्रतिशत) का अर्थ होता है — आपने कितने प्रश्न सही किए या कितने अंक प्राप्त किए, कुल अंकों के अनुपात में। उदाहरण के लिए, यदि आपने 100 में से 90 अंक प्राप्त किए हैं, तो आपकी Percentage 90% होगी।

वहीं, Percentile Score एक तुलनात्मक आंकड़ा होता है, जो यह बताता है कि आपने अपनी शिफ्ट या परीक्षा में उपस्थित अन्य विद्यार्थियों के मुकाबले कैसा प्रदर्शन किया। यदि आपका Percentile Score 98 है, इसका मतलब है कि आपने 98% विद्यार्थियों से बेहतर प्रदर्शन किया है।

उदाहरण के लिए:

  • Percentage बताता है: “मैंने 100 में से 90 अंक पाए।”
  • Percentile बताता है: “मैं अपनी शिफ्ट के 98% विद्यार्थियों से आगे हूँ।”

इसलिए, CUET UG 2025 में यदि आपका Raw Score (Percentage आधारित) थोड़ा कम है, लेकिन आपने कठिन पेपर में अन्य विद्यार्थियों से अच्छा प्रदर्शन किया है, तो आपका Percentile Score अधिक होगा और उसी के आधार पर Normalized Score तैयार किया जाएगा, जो आपके अंतिम परिणाम में गिना जाएगा।

संक्षेप में,

Percentage = आपकी सही उत्तरों की दर

Percentile = आपने बाकी विद्यार्थियों के मुकाबले कितना बेहतर किया


उदाहरण से समझिए (सिंपल केस)

मान लीजिए दो विद्यार्थी हैं:

  • विद्यार्थी A: आसान शिफ्ट में बैठा और 180 अंक प्राप्त किए।
  • विद्यार्थी B: कठिन शिफ्ट में बैठा और 172 अंक प्राप्त किए।

अगर Raw Marks पर जाएं तो विद्यार्थी A आगे दिखेगा। लेकिन यदि विद्यार्थी B की शिफ्ट बहुत कठिन थी और उसमें केवल उसी ने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया, तो उसका Percentile 100 हो सकता है, जबकि A का 98. इस स्थिति में Normalized Score B का अधिक होगा।


क्या यह प्रणाली निष्पक्ष है?

जी हाँ, यह प्रणाली GATE, JEE Main और कई अन्य राष्ट्रीय परीक्षाओं में वर्षों से अपनाई जा रही है। यह सुनिश्चित करती है कि केवल अंक नहीं, बल्कि पारिस्थितिक प्रदर्शन (Contextual Performance) को महत्व दिया जाए।

NTA का यह मॉडल पूरी तरह से सांख्यिकीय, वैज्ञानिक और निष्पक्ष माना जाता है।


विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सुझाव

  • अपनी शिफ्ट की कठिनाई को लेकर परेशान न हों।
  • आपका सापेक्ष प्रदर्शन मायने रखता है, न कि सिर्फ अंक।
  • अभ्यास करें कि हर तरह के पेपर में आप अपना श्रेष्ठ दें।
  • परिणाम में Raw Score कम दिखने से घबराएं नहीं — Normalization आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।

निष्कर्ष: मेहनत का मूल्य मिलेगा, भले शिफ्ट अलग हो

CUET UG 2025 की नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया केवल एक गणना नहीं है — यह एक भरोसे का सिस्टम है जो लाखों विद्यार्थियों को समान अवसर देने के लिए बना है। यदि आपने कठिन परिश्रम किया है, तो वह व्यर्थ नहीं जाएगा, भले ही आपकी शिफ्ट थोड़ी कठिन रही हो।

आपका समर्पण, ईमानदारी और निरंतरता ही आपको सफलता की ओर ले जाएगी और CUET की नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया इस सफलता को निष्पक्षता की डोर से बाँधती है।