05-Jun-2025
संसद
भारतीय राजनीति
भारत की संसद
- भारत की संसद, देश का सर्वोच्च विधायी निकाय है और विधि बनाने, निगरानी करने और लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- अनुच्छेद 79 से 122 (संविधान का भाग V) इसकी संरचना, शक्तियों और प्रक्रियाओं को कवर करते हैं।
संसद में राष्ट्रपति की भूमिका
- राष्ट्रपति संसद का सदस्य ही नहीं बल्कि इसका अभिन्न अंग है।
- शक्तियों में शामिल हैं
- सत्र बुलाना और समाप्त करना
- दोनों सदनों को संबोधित करना
- संयुक्त बैठकें बुलाना
- अध्यादेश जारी करना
राज्यसभा
- इसे उच्च सदन कहा जाता है, यह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह एक स्थायी निकाय है, इसका विघटन नहीं हो सकता।
लोकसभा
- इसे निम्न सदन कहा जाता है, यह प्रत्यक्ष चुनावों के माध्यम से लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।
- यह मंत्रिपरिषद और राष्ट्रीय बजट को नियंत्रित करने में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
राज्यसभा बनाम लोकसभा
- समान शक्तियाँ
- साधारण विधेयक, संवैधानिक संशोधन और वित्तीय विधेयक (धन विधेयक को छोड़कर) पारित करना।
- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रमुख संवैधानिक प्राधिकारियों के चुनाव में शामिल।
- आपातस्थितियों और अध्यादेशों का अनुमोदन।
- मंत्री किसी भी सदन से हो सकते हैं।
- राज्यसभा के अधिकार निम्न मामलों में सीमित होते हैं—
- वित्त विधेयक में (संशोधन या अस्वीकृति का अधिकार नहीं, केवल सुझाव दे सकती है)।
- अविश्वास प्रस्ताव में (केवल लोकसभा सरकार को हटा सकती है)।
- बजट मतदान, संयुक्त बैठकें तथा राष्ट्रीय आपातकाल को समाप्त करना जैसे मामलों में भी राज्यसभा की भूमिका सीमित होती है।
- राज्यसभा की विशेष शक्तियाँ
- अनुच्छेद 67: उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ कर सकती है।
- अनुच्छेद 249: राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने के लिये संसद को अधिकृत कर सकती है।
- अनुच्छेद 312: अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन कर सकती है।
- अनुच्छेद 352/356/360: लोकसभा के विघटन की स्थिति में आपातकाल को अनुमोदन प्रदान कर सकती है।