23-May-2025

अजंता एलोरा गुफाएँ

इतिहास

अजंता की गुफाएँ 

  • स्थान : महाराष्ट्र के औरंगाबाद के पास वाघोरा नदी के किनारे सह्याद्रि पहाड़ियों (पश्चिमी घाट) में स्थित है। 
  • कुल गुफाएँ : 29 चट्टान काटकर बनाई गई बौद्ध गुफाएँ - 25 विहार (मठवासी निवास) और 4 चैत्य (प्रार्थना कक्ष) के रूप में कार्य करती थीं। 
  • निर्माण काल : 200 ईसा पूर्व और 650 ईसवी के बीच विकसित हुआ। 
  • संरक्षण : इसका निर्माण मुख्य रूप से बौद्ध भिक्षुओं द्वारा वाकाटक शासकों, विशेषकर राजा हरिषेण के सहयोग से किया गया था। 
  • ऐतिहासिक संदर्भ : चीनी यात्री फाह्यान (चंद्रगुप्त द्वितीय का शासनकाल) और ह्वेन त्सांग (हर्षवर्धन का शासनकाल) द्वारा इसका उल्लेख किया गया है। 
  • कला शैली : रेड आउटलाइन के साथ फ्रेस्को पेंटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है; खास बात यह है कि नीला रंग अनुपस्थित है। विषयवस्तु बुद्ध के जीवन और जातक कथाओं पर केंद्रित है। 
  • यूनेस्को मान्यता : वर्ष 1983 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई। 

एलोरा की गुफाएँ 

  • स्थान : महाराष्ट्र के सह्याद्रि पर्वतमाला में अजंता से लगभग 100 किमी दूर स्थित है। 
  • कुल गुफाएँ : इसमें 34 गुफाएँ हैं - 17 हिंदू, 12 बौद्ध और 5 जैन, जो धार्मिक सद्भाव को दर्शाती हैं। 
  • विकास की अवधि : इसका निर्माण 5वीं और 11वीं शताब्दी के बीच विदर्भ, कर्नाटक और तमिलनाडु के कारीगरों द्वारा किया गया था।
  • वास्तुकला विविधता : विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के योगदान के कारण विभिन्न विषयों और वास्तुकला शैलियों को प्रतिबिंबित करती है। 
  • मुख्य आकर्षण : भगवान शिव को समर्पित कैलास मंदिर (गुफा 16) सबसे प्रमुख है और कैलास पर्वत का प्रतिनिधित्व करता है। 
  • यूनेस्को मान्यता : वर्ष 1983 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी गई। 

सह्याद्रि पर्वतमाला (पश्चिमी घाट) 

  • क्षेत्रीय नाम: महाराष्ट्र में सह्याद्रि, कर्नाटक/तमिलनाडु में नीलगिरि और केरल में अन्नामलाई/कार्डेमम हिल्स के नाम से जाना जाता है। 
  • भौगोलिक भूमिका: दक्कन के पठार की पश्चिमी सीमा बनाती है; उत्तर से दक्षिण तक फैली हुई है। 
  • ऊँचाई: पूर्वी घाट की तुलना में अधिक ऊँची और निरंतर, औसतन 1,500 मीटर ऊँची। 
  • प्रमुख चोटियाँ
  • अनाइमुडी (2,695 मीटर) - प्रायद्वीपीय पठार (अन्नामलाई पहाड़ियाँ) की सबसे ऊँची चोटी। 
  • डोडाबेट्टा (2,637 मीटर)दूसरी सबसे ऊँची (नीलगिरी पहाड़ियाँ)। 
  •  नदियाँ: कृष्णा और कावेरी जैसी महत्त्वपूर्ण प्रायद्वीपीय नदियों का उद्गम स्थल।