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 26-Sep-2025

भारत में एक साथ चुनाव

भारतीय राजनीति

चर्चा में क्यों? 

16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि बार-बार होने वाले चुनाव, सुधारों में बाधा डालते हैं और इसके समाधान के रूप में एक साथ चुनाव (Simultaneous Elections) का प्रस्ताव रखा 

एक साथ चुनाव को प्रभावी बनाने के लिये संविधान (129वाँ संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किये गए 

एक साथ चुनावों की आवश्यकता 

  • शासन में स्थिरता : विकास और नीतियों के क्रियान्वयन पर ध्यान, साथ ही बार-बार होने वाले चुनावों का खर्च घटेगा 
  • नीतिगत गतिरोध से बचाव : लंबी अवधि तक आचार संहिता (MCC) लागू होने से बचकर नीति निरंतरता सुनिश्चित होगी 
  • निर्वाचन व्यस्तता में कमी: चुनावों की बारंबारता से बचकर दल जनकल्याणकारी कार्यों पर ध्यान देंगे 
  • संसाधन संरक्षण: चुनाव अधिकारियों और संसाधनों के बार-बार परिनियोजन से बचा जा सकेगा 
  • राजनीतिक अवसर: नए उम्मीदवारों को मौका मिलेगा, वर्चस्व और प्रभुत्व में कमी होगी 

 चुनौतियाँ 

  • वृहद पैमाना: 96 करोड़ मतदाताओं, 10 लाख मतदान केंद्र, सुरक्षा बलों के मूवमेंट तथा प्रशिक्षण की चुनौती 
  • तकनीकी संसाधनों की मांग: अधिक ईवीएम (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) मशीनें तथा विश्वसनीय बैकअप प्रणाली की आवश्यकता 
  • संघीय ढाँचे पर असर: राज्यों की विधानसभा अवधि में परिवर्तन से संघीय भावना कमज़ोर हो सकती है 
  • जन-निगरानी में कमी: चुनावों की संख्या घटने से सरकार की जवाबदेही पर असर 
  • संवैधानिक जटिलताएँ: आवश्यक संशोधन एवं नई प्रक्रियाओं को न्यायालयी चुनौती का सामना करन पड़ सकता है 

सुझाव 

  • स्पष्ट प्रक्रिया संशोधन: समयपूर्व विघटन और उपचुनावों के समाधान हेतु प्रक्रिया, कार्यक्रम और संवैधानिक संशोधनों में स्पष्टता हो 
  • एकीकृत मतदाता सूची: ईवीएम और वीवीपैट का उन्नयन, मतदाता सत्यापन परिणाम प्रबंधन हेतु तकनीकी उपयोग 
  • जन-जागरूकता अभियान: NGOs और सामुदायिक संगठनों के माध्यम से राष्ट्रव्यापी जागरूकता 
  • प्रशिक्षण: अधिकारियों को नई तकनीक और प्रक्रियाओं का समुचित प्रशिक्षण 
  • चक्र संरेखण: राज्य चुनावों को आगे या पीछे करके लोकसभा चुनावों से जोड़ना