12-May-2025
बुद्ध धर्म
इतिहास
बुद्ध धर्म
- बौद्ध धर्म की उत्पत्ति भारत में 2,600 वर्ष पूर्व एक परिवर्तनकारी जीवन-पद्धति के रूप में हुई थी, जिसमें व्यक्तियों के जीवन को बदलने की क्षमता थी।
- बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में भारत-नेपाल सीमा (लुंबिनी) के पास कपिलवस्तु के शाक्य वंश में हुआ था।
- 29 वर्ष की आयु में उन्होंने विलासितापूर्ण जीवन त्यागकर तप (आत्म-अनुशासन) अपना लिया और अंततः बिहार के बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे 49 दिनों के ध्यान के बाद बोधि (ज्ञान) प्राप्त किया।
- उनका पहला उपदेश, जिसे धर्म-चक्र-प्रवर्तन के नाम से जाना जाता है, बनारस के पास सारनाथ में दिया गया था।
- बुद्ध का निधन 483 ईसा पूर्व में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में हुआ था, इस घटना को महापरिनिर्वाण कहा जाता है।
चार आर्य सत्य
- दुःख जीवन का एक अंतर्निहित हिस्सा है।
- दुःख के कारण (समुद्य) विद्यमान हैं।
- दुःख निरोध संभव है।
- दुख को समाप्त करने का रास्ता अष्टांग मार्ग है।
अष्टांगिक मार्ग
- सम्यक दृष्टि: दुःख के कारण को समझना।
- सम्यक संकल्प: अपने संकल्पों को करुणा से जोड़ना।
- सम्यक वाक्: सत्य बोलना और अहितकारी वाणी से बचना।
- सम्यक कर्म: नैतिक आचरण का पालन करना (हिंसा, झूठ आदि से बचना)।
- सम्यक आजीविका: ऐसा कार्य करना जो दूसरों को हानि न पहुँचाए।
- सम्यक स्मृति: अपने शरीर, मन और कर्मों के प्रति जागरूक रहना।
- सम्यक प्रयास: सद्कार्य करने के लिये निरंतर प्रयास करना।
- सम्यक समाधि: एकाग्रचित्त ध्यान का अभ्यास करना।
प्रमुख बौद्ध ग्रंथ
- मौखिक शिक्षाएँ : बुद्ध की शिक्षाएँ शुरू में मौखिक थीं और उनके शिष्यों द्वारा आगे बढ़ाई गईं।
- प्रथम संगीति (483 ईसा पूर्व) : बुद्ध की शिक्षाओं को तीन पिटकों में विभाजित किया गया था:
- विनय पिटक : मठवासी आचरण के नियम।
- सुत्त पिटक : बुद्ध की मूल शिक्षाएँ।
- अभिधम्म पिटक : शिक्षाओं का दार्शनिक विश्लेषण।
- महत्त्वपूर्ण ग्रंथ : इसमें धम्मपद, विनय पिटक और दिव्यावदान और मिलिंद पन्हा जैसे अन्य ग्रंथ शामिल हैं।
बौद्ध संगीतियों की भूमिका
- प्रथम संगीति (483 ईसा पूर्व) : बुद्ध की शिक्षाओं को संरक्षित करने और उन्हें तीन पिटकों में विभाजित करने के लिये महाकाश्यप की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी।
- द्वितीय परिषद (383 ईसा पूर्व) : वैशाली में आयोजित, नैतिक मूल्यों पर केंद्रित थी।
- तृतीय संगीति (250 ई.पू.) : सम्राट अशोक की अध्यक्षता में आयोजित, जिसके फलस्वरूप बौद्ध धर्म का भारत से बाहर भी प्रसार हुआ।
- चतुर्थ परिषद (72 ई.) : यह परिषद कश्मीर के कुंडलवन में आयोजित हुई, जिसमें महायान और हीनयान संप्रदायों में विभाजन हुआ।
बौद्ध धर्म के पंथ
महायान (महान वाहन)
- यह बुद्ध की दिव्यता में विश्वास करता है और मूर्ति पूजा पर ज़ोर देता है।
- इसका उद्गम उत्तरी भारत में हुआ तथा यह पूर्वी एशिया, मध्य एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया तक फैल गया।
हीनयान (लघु वाहन)
- आत्म-अनुशासन और ध्यान के माध्यम से व्यक्तिगत मोक्ष पर ध्यान केंद्रित करता है।
- थेरवाद मुख्य हीनयान संप्रदाय है, जो श्रीलंका और दक्षिण पूर्व एशिया में प्रमुख है।
वज्रयान (तांत्रिक बौद्ध धर्म)
- भारत में लगभग 900 ई. में विकसित इस परंपरा में जटिल अनुष्ठानों और गूढ़ प्रथाओं पर ज़ोर दिया जाता है।
जेन
- महायान बौद्ध धर्म का एक पंथ, जो चीन में उत्पन्न हुआ, जो ध्यान और सचेतनता पर ज़ोर देता है।