08-Oct-2024
मुद्रा विनिमय समझौते
भारतीय अर्थव्यवस्था
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वर्ष 2024-2027 के लियेए सार्क फ्रेमवर्क के तहत मालदीव मौद्रिक प्राधिकरण के साथ मुद्रा विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर किये। नई दिल्ली में अंतिम रूप दिये गए इस समझौते से मालदीव को अमेरिकी डॉलर/यूरो स्वैप विंडो के ज़रिये 400 मिलियन डॉलर और भारतीय रुपया स्वैप विंडो के तहत 30 बिलियन रुपए तक पहुँच प्राप्त होगी।
मुद्रा विनिमय समझौतों के बारे में
- यह एक समझौता है जिसमें दो पक्ष पूर्व निर्धारित दर पर दो मुद्राओं का आदान-प्रदान करने के लिये सहमत होते हैं, तथा फिर निर्दिष्ट भविष्य की तिथि पर उन मुद्राओं को सहमत दर पर पुनः विनिमय करते हैं।
- इन समझौतों का उपयोग प्रायः मुद्रा विनिमय दर ज़ोखिमों से बचाव के लिये या विदेशी मुद्राओं में अधिक अनुकूल वित्तपोषण प्राप्त करने के लिये किया जाता है।
मुद्रा विनिमय समझौते कैसे काम करते हैं?
- दो पक्ष अलग-अलग मुद्राओं में ऋण पर मूलधन और ब्याज भुगतान का आदान-प्रदान करते हैं।
- एक पक्ष आमतौर पर अपनी घरेलू मुद्रा में ऋण लेता है और विदेशी मुद्रा में ऋण देता है, जबकि दूसरा पक्ष इसके विपरीत करता है।
- शर्तें और विनिमय दरें अनुबंध के प्रारंभ में निर्धारित की जाती हैं।
लाभ
- हेजिंग: विनिमय दरों में उतार-चढ़ाव के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करता है, तथा मुद्रा जोखिम को कम करता है।
- लागत प्रभावी वित्तपोषण: घरेलू विकल्पों की तुलना में विदेशी मुद्राओं में किफायती वित्तपोषण तक पहुँच प्रदान करता है।
- बेहतर नकदी प्रवाह प्रबंधन: विभिन्न देशों में कार्यरत बहुराष्ट्रीय निगमों के लिये बेहतर नकदी प्रवाह प्रबंधन को सक्षम बनाता है।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को समर्थन: निर्दिष्ट अवधि के लिये विनिमय दरों में निश्चितता प्रदान करता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधा मिलती है।
उपयोगकर्त्ता मुद्रा विनिमय समझौते
- बहुराष्ट्रीय निगम
- वित्तीय संस्थानों
- सरकारों
संबद्ध जोखिम
- विनिमय दर ज़ोखिम
- ऋण ज़ोखिम
- विनियामक ज़ोखिम
- तरलता ज़ोखिम
मालदीव के बारे में
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