17-Jun-2025
धन का विकास
मुद्रा क्या है?
मुद्रा वह वस्तु है, जिसे सामान्य रूप से विनिमय के माध्यम, मूल्य मापन की इकाई, मूल्य का भंडार तथा स्थगित भुगतान के मानक के रूप में स्वीकार किया जाता है।
मुद्रा के कार्य
मुद्रा निम्नलिखित चार मूलभूत कार्यों को संपन्न करती है:
- प्राथमिक कार्य
- विनिमय का माध्यम:
- मुद्रा का उपयोग वस्तुओं और सेवाओं को खरीदने तथा बेचने के लिये किया जाता है।
- यह वस्तु विनिमय की सीमाओं (इच्छाओं का द्वैध संयोग) को दूर करती है।
- मूल्य मापन की इकाई:
- मुद्रा वस्तुओं/सेवाओं के मूल्य को कीमत के रूप में व्यक्त करती है।
- विनिमय का माध्यम:
- द्वितीयक कार्य
- मूल्य का भंडार:
- मुद्रा को भविष्य में प्रयोग हेतु संचित किया जा सकता है।
- यदि महँगाई कम हो, तो यह समय के साथ मूल्य को सुरक्षित रखती है।
- स्थगित भुगतान का मानक
- मुद्रा का उपयोग ऋण लेनदेन तथा भविष्य के भुगतानों के लिये किया जाता है।
- मूल्य का भंडार:
धन का विकास
- वस्तु विनिमय प्रणाली: बिना पैसे के वस्तुओं/सेवाओं का प्रत्यक्ष विनिमय।
- वस्तु मुद्रा: नमक, अनाज, धातु जैसी वस्तुएँ जिनका मुद्रा के रूप में उपयोग किया जाता है।
- धातु मुद्रा: बहुमूल्य धातुओं से बने सिक्के।
- कागज़ी मुद्रा: सरकार द्वारा जारी नोट।
- क्रेडिट मनी: वचन-पत्र, चेक, आदि।
- प्लास्टिक और डिजिटल मुद्रा: क्रेडिट/डेबिट कार्ड, UPI, ई-वॉलेट।
मुद्रा के प्रकार
प्रकार |
अर्थ |
उदाहरण |
फिएट मुद्रा |
सरकार द्वारा वैध मुद्रा घोषित की गई मुद्रा |
500 रुपए का नोट, 10 रुपए का सिक्का |
फिड्यूशियरी मुद्रा |
ऐसी मुद्रा जिसे केवल विश्वास के आधार पर स्वीकार किया जाता है, कानूनी आधार नहीं होता। |
चेक, प्रोमिसरी नोट |
टोकन मुद्रा |
जिसका अंकित मूल्य उसके धातु मूल्य से अधिक होता है |
सिक्के |
पूर्ण मूल्य की मुद्रा |
जिसका अंकित मूल्य और वास्तविक (धातु) मूल्य समान होता है |
सोने या चाँदी के सिक्के |
बैंक मुद्रा |
बैंकों में माँग जमा, जिन्हें कभी भी निकाला जा सकता है |
चेक, ATM से निकासी |
मुद्रा आपूर्ति: मुद्रा आपूर्ति से तात्पर्य किसी निश्चित समय पर किसी अर्थव्यवस्था में प्रचलित मुद्रा के कुल स्टॉक से है।
भारत में मुद्रा आपूर्ति के माप (RBI के अनुसार): RBI चार मानक उपायों का उपयोग करता है:
- M1 = जनता के पास मुद्रा + बैंकों में माँग जमा + RBI में अन्य जमा
- M2 = M1 + डाकघर बचत बैंकों में बचत जमा
- M3 = M1 + वाणिज्यिक बैंकों में शुद्ध सावधि जमा
- M4 = M3 + डाकघर में कुल जमा (सावधि जमा+आवर्ती जमा) (राष्ट्रीय बचत-पत्रों को छोड़कर)
उच्च-शक्तिशाली धन (H)
- इसे रिज़र्व मनी के नाम से भी जाना जाता है।
- इसमें शामिल है:
- जनता द्वारा रखी गई मुद्रा
- RBI के पास बैंकों के नकद भंडार
- H = C + R, जहाँ
C = जनता के पास मुद्रा,
R = केंद्रीय बैंक के पास नकद भंडार।
धन गुणक: यह उच्च-शक्ति वाले धन में वृद्धि के कारण धन की आपूर्ति में होने वाली वृद्धि की संख्या को संदर्भित करता है।
जहाँ,
M = कुल मुद्रा आपूर्ति
H = उच्च-शक्तिशाली धन
उच्चतर गुणक का अर्थ है कि बैंकिंग प्रणाली द्वारा अधिक धन का सृजन किया जा रहा है।
मुद्रा आपूर्ति को प्रभावित करने वाले कारक
- नकद आरक्षित अनुपात (CRR): उच्च CRR → कम मुद्रा आपूर्ति।
- वैधानिक तरलता अनुपात (SLR): उच्च SLR→ उधार के लिये कम धन।
- खुले बाज़ार परिचालन: RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद/बिक्री।
- बैंक दर: उच्च दर उधार लेने को हतोत्साहित करती है → धन सृजन को कम करती है।
- नकदी बनाम जमा के लिये सार्वजनिक मांग: अधिक नकदी जमा करने से गुणक कम हो जाता है।
वैध मुद्रा क्या है?
- वैध मुद्रा वह मुद्रा होती है, जिसे कानूनन भुगतान के लिये स्वीकार करना अनिवार्य होता है।
- भारत में इसमें RBI द्वारा जारी नोट तथा सरकार द्वारा जारी सिक्के शामिल होते हैं।
- ऋणदाता इसे भुगतान के रूप में अस्वीकार नहीं कर सकते।
- यह कानून द्वारा परिभाषित होती है तथा RBI अधिनियम व संबंधित विधानों द्वारा अधिकृत होती है।
भारत में नोट और सिक्का जारीकर्त्ता
MCQ के माध्यम से तैयारीप्रश्न. मनी मल्टीप्लायर से तात्पर्य है: उत्तर: (2) उच्च-शक्ति वाले पैसे द्वारा बैंक ऋण में वृद्धि की संख्या |