13-May-2025
राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक 2025
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग द्वारा जारी राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक 2025, भारतीय राज्यों को उनके आय प्रबंधन, विकास व्यय और ऋण प्रबंधन के आधार पर रैंक प्रदान करता है।
राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) क्या है?
राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक (FHI) एक उपकरण है जिसका उपयोग भारतीय राज्यों के राजकोषीय स्वास्थ्य का आकलन करने और सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने के लिये किया जाता है।
पैरामीटर
FHI पाँच प्रमुख उप-सूचकांकों के आधार पर राज्यों को रैंक करता है:
- व्यय की गुणवत्ता: यह दीर्घकालिक विकास (विकासात्मक) और नियमित परिचालन (गैर-विकासात्मक) पर व्यय के साथ-साथ आर्थिक उत्पादन के सापेक्ष पूंजी निवेश के बीच संतुलन को मापता है।
- राजस्व संग्रहण: किसी राज्य की स्वयं का राजस्व उत्पन्न करने और स्वतंत्र रूप से व्यय को कवर करने की क्षमता का मूल्यांकन करता है।
- राजकोषीय विवेकशीलता: आर्थिक उत्पादन के सापेक्ष राजकोषीय और राजस्व घाटे तथा उधारी के स्तर पर नज़र रखता है, जो राजकोषीय स्वास्थ्य का संकेत देता है।
- ऋण सूचकांक: राज्य के ऋण बोझ का आकलन करता है, तथा आर्थिक आकार के संबंध में ब्याज भुगतान और देनदारियों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- ऋण स्थिरता: GSDP वृद्धि की तुलना ब्याज भुगतान से की जाती है, जिसमें सकारात्मक अंतर राजकोषीय स्थिरता को दर्शाता है।
उद्देश्य: FHI का उद्देश्य राज्य स्तर पर सतत् विकास, राजकोषीय समेकन और कुशल संसाधन प्रबंधन के लिये सुधारों को लागू करने में नीति निर्माताओं का मार्गदर्शन करना है। यह राज्यों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा देता है, राजकोषीय रणनीतियों को राष्ट्रीय आर्थिक लक्ष्यों के साथ जोड़ता है।
शीर्ष प्रदर्शन करने वाले राज्य
रैंक |
राज्य |
1 |
ओडिशा |
2 |
छत्तीसगढ |
3 |
गोवा |
4 |
झारखंड |
5 |
गुजरात |
6 |
महाराष्ट्र |
7 |
उत्तर प्रदेश |
8 |
तेलंगाना |
9 |
मध्य प्रदेश |
10 |
कर्नाटक |
नीति आयोग
संघटन:
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