25-Aug-2025
भारत में ग्रीन हाइड्रोजन
चर्चा में क्यों?
एक रिपोर्ट के अनुसार भारत वर्ष 2030 तक सालाना 10 मीट्रिक टन GH2 का निर्यात कर सकेगा (वैश्विक नेतृत्वकर्त्ता)।
भारत का GH2 विजन: MAPS फ्रेमवर्क
घटक |
लक्ष्य |
M – बाज़ार नेतृत्व |
वर्ष 2030 तक वैश्विक GH2 बाज़ार में 10% हिस्सेदारी |
A – उत्सर्जन में कमी |
प्रति वर्ष 50 MMT CO₂ उत्सर्जन की कमी लाना |
P – उत्पादन वृद्धि |
प्रति वर्ष 5 MMT GH2 क्षमता का निर्माण |
E – रोज़गार सृजन |
6+ लाख पर्यवारण हितैषी रोज़गार का सृजन |
चुनौतियाँ: CAGE फ्रेमवर्क
चुनौती |
विवरण |
C – लागत |
GH2 की लागत ग्रे हाइड्रोजन से अधिक, $4–4.5/किग्रा है |
A – पूँजी की व्यवस्था |
इलेक्ट्रोलाइज़र और नवीकरणीय ऊर्जा में उच्च प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता |
G – बुनियादी ढाँचा संबंधी अभाव |
परिवहन, भंडारण और ईंधन पुनर्भरण संबंधी नेटवर्क का अभाव |
E – आर्थिक व्यवहार्यता |
कार्बन मूल्य निर्धारण के अभाव से GH2 की प्रतिस्पर्द्धात्मकता प्रभावित होती है |
समाधान: POWER फ्रेमवर्क
उपाय |
विवरण |
P - कार्बन मूल्य निर्धारण |
कार्बन कर/बाज़ार का क्रियान्वन |
O - दायित्व संबंधी अधिदेश |
इस्पात, उर्वरक, रिफाइनिंग में GH2 अधिदेश का प्रवर्तन |
W - बुनियादी ढाँचे का विस्तार |
इलेक्ट्रोलाइज़र, भंडारण, पाइपलाइन, निर्यात गलियारों का निर्माण |
E - आर्थिक पुनर्आवंटन |
जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी के स्थान पर प्रोत्साहन/VGF प्रदान करना |
R - रिस्क पूलिंग |
सुरक्षित, बैंक योग्य अनुबंधों और मूल्य स्थिरता को सक्षम करने हेतु समग्र माँग। |
संबंधित पहलें
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
- हरित हाइड्रोजन प्रमाणन योजना
- कांडला, पारादीप और तूतीकोरिन में ग्रीन हाइड्रोजन केंद्रों का विकास