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 22-May-2025

INSV कौंडिन्य

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

चर्चा में क्यों? 

भारतीय नौसेना ने हाल ही में कारवार स्थित नौसेना बेस पर आयोजित एक औपचारिक समारोह के दौरान एक सिले हुए पाल जहाज़, INSV कौंडिन्य को नौसेना में शामिल किया और उसका नामकरण किया। 

INSV कौंडिन्य: प्रमुख विशेषताएँ 

  • ऐतिहासिक पुनर्निर्माण: INSV कौंडिन्य एक सिली हुई पाल वाली जहाज़ है, जिसे अजंता गुफाओं के चित्रों में दर्शाए गए 5वीं शताब्दी के जहाज़ के आधार पर बनाया गया है, जो भारत की प्राचीन समुद्री विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। 
  • परियोजना सहयोग: जुलाई 2023 में संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना और मेसर्स होदी इनोवेशन के बीच एक समझौते के माध्यम से शुरू किया गया, जिसे संस्कृति मंत्रालय से वित्त पोषण प्राप्त हुआ। इसका निर्माण कार्य सितंबर 2023 में शुरू हुआ, जिसमें मास्टर शिपराइट श्री बाबू शंकरन के नेतृत्व में केरल के कुशल कारीगरों द्वारा पारंपरिक सिलाई तकनीकों का उपयोग किया गया। 
  • निर्माण और डिज़ाइन: लकड़ी के तख्तों को कॉयर रोप, नारियल फाइबर और प्राकृतिक राल का उपयोग करके सिल दिया गया था। भारतीय नौसेना ने हाइड्रोडायनामिक परीक्षण के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) मद्रास के साथ सहयोग करते हुए डिज़ाइन और तकनीकी सत्यापन का नेतृत्व किया, क्योंकि ऐसे जहाज़ों के लिये कोई मूल ब्लूप्रिंट मौजूद नहीं है। 
  • सांस्कृतिक महत्त्व: इस जहाज़ के पालों पर गंडभेरुंड और सूर्य जैसी आकृतियाँ, धनुष पर एक मूर्तिकला सिम्हा यली और डेक पर हड़प्पा शैली के प्रस्तर का लंगर अंकित है, जो भारत की समृद्ध समुद्री परंपराओं को प्रदर्शित करता है। 
  • भावी मिशन: INSV कौंडिन्य, जो अभी भी कारवार में स्थित है, इस वर्ष के अंत में गुजरात से ओमान तक के प्राचीन व्यापार मार्ग का पता लगाते हुए एक पार-महासागरीय यात्रा पर निकलेगा।