23-Oct-2024
करतारपुर कॉरिडोर
वैश्विक मामले
चर्चा में क्यों?
भारत और पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर समझौते को पाँच वर्ष के लिये बढ़ा दिया है। इससे भारतीय तीर्थयात्री बिना वीजा के पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर की यात्रा जारी रख सकेंगे। भारत ने पाकिस्तान से तीर्थयात्रियों पर लगाए जाने वाले 20 डॉलर के सेवा शुल्क को हटाने का आग्रह किया है। वर्ष 2019 में इसके खुलने के बाद से 110,000 से ज़्यादा भारतीय नागरिक इस कॉरिडोर का उपयोग कर चुके हैं।
करतारपुर कॉरिडोर के बारे में
- यह एक अत्यंत पूजनीय सिख तीर्थस्थल है।
- ऐसा माना जाता है कि यह गुरु नानक देव जी का जन्मस्थान है।
- गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यहीं बिताए थे।
- यह भारत को पाकिस्तान से जोड़ने वाला 4.5 किलोमीटर (2.8 मील) लंबा गलियारा है।
- यह भारत से सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर तक वीजा-मुक्त पहुँच प्रदान करता है।
प्रमुख बिंदु
- महत्त्व: यह कॉरिडोर भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक प्रमुख मील का पत्थर है, क्योंकि यह धार्मिक पर्यटन को सुविधाजनक बनाता है और दोनों देशों के बीच शांति को बढ़ावा देता है।
- प्रवेश: सिख तीर्थयात्री बिना वीजा के, केवल एक वैध भारतीय पासपोर्ट प्राप्त करके और भारतीय प्राधिकारियों के पास पंजीकरण कराकर गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर की यात्रा कर सकते हैं।
- बुनियादी ढाँचा: इस कॉरिडोर में रावी नदी पर एक आधुनिक पुल के साथ-साथ तीर्थयात्रियों के लिये सड़कें और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी शामिल हैं।
- उद्घाटन: करतारपुर कॉरिडोर का आधिकारिक उद्घाटन नवंबर 2019 में किया गया था।
- करतारपुर कॉरिडोर को दोनों देशों के बीच शांति और सहयोग के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
- आशा है कि इससे मेल-मिलाप और वार्ता को बढ़ावा मिलेगा।
गुरु नानक देव जी के बारे में
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