15-Sep-2025

मानकी-मुंडा व्यवस्था और हो जनजाति

संक्षिप्त समाचार

चर्चा में क्यों? 

ारखंड के कोल्हान में हो आदिवासियों ने रिक्त पदों, वंशानुगत अक्षमताओं और सुधारों की मांग को उद्धृत करते हुए मानकी-मुंडा व्यवस्था में कथित हस्तक्षेप का विरोध किया 

  • परिचय: स्वशासन ढाँचा; मुंडा (ग्राम प्रधान), मानकी (8-15 गाँवों/पीढ़ के मुखिया)। स्थानीय विवादों का निपटारा; राजस्व, भूमि या कर में कोई भूमिका नहीं 
  • ब्रिटिश काल: कैप्टन थॉमस विल्किंसन (1833) ने व्यवस्था को संहिताबद्ध किया; मुंडाओं और मानकियों को औपनिवेशिक प्रशासन में एकीकृत किया 
    • निजी संपत्ति, पट्टे और बाह्य लोगों (दिक्कुओं) के आगमन को बढ़ावा मिला 
  • स्वतंत्रता पश्चात्: विल्किंसन के नियमों का अनुपालन अभी भी जारी है; मोरा हो बनाम बिहार राज्य (2000) में इसे प्रथा (विधि नहीं) के रूप में मान्यता दी गई 
    • वर्ष 2021 में झारखंड पहल (न्याय मंच) में सुधार का प्रस्ताव रखा, लेकिन इसका प्रवर्तन नहीं किया गया 

 

हो जनजाति 

  • नृजातीय समूह: या कोल्हा, ऑस्ट्रोएशियाटिक मुंडा नृजातीय समूह हैं; मुख्यतः झारखंड के कोल्हान, ओडिशा के कुछ हिस्सों, पश्चिम बंगाल, बिहार, बांग्लादेश और नेपाल में पाए जाते हैं 
  • भाषा: हो; देवनागरी, लैटिन, वारंग क्षिति (लाको बोद्र द्वारा विकसित स्थानीय लिपि) में लिखित 
  • इतिहास: 3500-4000 वर्षों से अस्तित्व; दक्षिण-पूर्व एशिया से इनका प्रवास हुआ 
  • विद्रोह: शोषक गैर-जनजातीय ज़मींदारों (दीकुओं) के विरुद्ध कोल विद्रोह (1831-33), पोराहाट के राजा के अधीन 1857 का विद्रोह 

 

  • संस्कृति: पर्व- मागे परब (सृष्टि के सृजनकर्त्ता देवता का पर्व), बा परब (फूलों का पर्व), सोहराय (कृषि पर्व) और जोमनामा परब (फसल) 
  • संस्कृति का केंद्र नृत्य और संगीत; अखरा (गाँव के मैदान) में आयोजित प्रदर्शन 
  • अर्थव्यवस्था: 
    • 80%+ कृषि में संलग्न; स्थायी कृषि पद्धति अपनाने वाली प्रारंभिक जनजातियों में से एक  
    • कुछ लोग खनन क्षेत्र में नियोजित 
    • साल के वनों पर निर्भर; सागौन के वृक्षारोपण का विरोध किया