22-Jul-2025
उपराष्ट्रपति का कार्यालय
चर्चा में क्यों?
सभापति जगदीप धनखड़ ने चिकित्सा कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से त्याग-पत्र दे दिया है, जिसके बाद नए सभापति के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
उपराष्ट्रपति कार्यालय के बारे में
- वरीयता क्रम:उपराष्ट्रपति भारत में दूसरा सर्वोच्च संवैधानिक प्राधिकारी है, जो राष्ट्रपति के ठीक बाद आता है।
- अमेरिकी मॉडल से प्रेरित: भारत में उपराष्ट्रपति का कार्यालय अमेरिकी उपराष्ट्रपति की भूमिका पर आधारित है।
- कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में भूमिका: यदि राष्ट्रपति मृत्यु, त्यागपत्र, निष्कासन या अन्य कारणों से अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।
- राज्यसभा के सभापति: उपराष्ट्रपति संसद के उच्च सदन, राज्यसभा के पदेन सभापति के रूप में भी कार्य करता है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव
- अप्रत्यक्ष चुनाव: उपराष्ट्रपति का चुनाव जनता द्वारा सीधे तौर पर नहीं, बल्कि राष्ट्रपति के समान अप्रत्यक्ष चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।
- निर्वाचक मंडल की संरचना: उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।
- राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल से अंतर
- इसमें संसद के निर्वाचित तथा मनोनीत दोनों प्रकार के सदस्य शामिल होते हैं (जबकि राष्ट्रपति के निर्वाचन में केवल निर्वाचित सदस्य ही शामिल होते हैं)।
- इसमें राज्य विधानसभाओं के सदस्य (जो राष्ट्रपति चुनाव में शामिल होते हैं) शामिल नहीं होते हैं।
- निर्वाचन की विधि: यह निर्वाचन एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के तहत संपन्न होता है।
- गुप्त मतदान: उपराष्ट्रपति पद के लिये मतदान गुप्त मतपत्र द्वारा किया जाता है।
उपराष्ट्रपति से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
उपराष्ट्रपति के लिये पात्रता मानदंड
- भारतीय नागरिकता: उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिये।
- न्यूनतम आयु: व्यक्ति की आयु 35 वर्ष पूरी होनी चाहिये।
- राज्यसभा योग्यता: राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने के लिये योग्य होना चाहिये।
- लाभ का पद नहीं: उम्मीदवार केंद्र, राज्य, स्थानीय अथवा अन्य किसी सार्वजनिक प्राधिकरण के अधीन कोई लाभ का पद धारण नहीं करता हो।
उपराष्ट्रपति पद धारण करने की शर्तें
- विधानमंडल की सदस्यता नहीं
- उपराष्ट्रपति को संसद या किसी राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं होना चाहिये।
- यदि चुनाव के समय वह ऐसा पद धारण करता है तो उपराष्ट्रपति का पद ग्रहण करते ही उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त मानी जाती
- लाभ का पद नहीं:
- उपराष्ट्रपति को अपने कार्यकाल के दौरान किसी अन्य लाभ के पद पर नहीं रहना चाहिये।
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल
- उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तिथि से पाँच वर्ष का होता है।
- वह किसी भी समय भारत के राष्ट्रपति को त्याग-पत्र प्रस्तुत करके त्याग-पत्र दे सकते हैं।
उपराष्ट्रपति पद में रिक्ति उत्पन्न होने के कारण:
- कार्यकाल समाप्ति
- त्याग-पत्र
- पदच्युत
- मृत्यु
- अथवा अन्य कोई कारण
भारत के उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया
- महाभियोग की आवश्यकता नहीं: उपराष्ट्रपति को औपचारिक महाभियोग प्रक्रिया के बिना भी हटाया जा सकता है।
- प्रक्रिया
- प्रस्ताव को राज्यसभा में प्रभावी बहुमत (रिक्तियों को छोड़कर कुल सदस्यता का बहुमत) से पारित किया जाना चाहिये।
- इसके बाद इसे लोकसभा द्वारा साधारण बहुमत (उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों का बहुमत) से अनुमोदित किया जाना चाहिये।
- प्रस्ताव की पहल: प्रस्ताव केवल राज्यसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है, लोकसभा में नहीं।
- सूचना अवधि: प्रस्ताव पेश करने से पहले कम-से-कम 14 दिन पहले नोटिस दिया जाना चाहिये।
MCQ के माध्यम से तैयारीप्रश्न: भारत के उपराष्ट्रपति के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (1) उपराष्ट्रपति का चुनाव भारत की जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। उत्तर: (4) उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के निर्वाचित और मनोनीत दोनों सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। |