25-Feb-2025
सोलिगा जनजाति
      
        पर्यावरण और पारिस्थितिकी
      
    
  चर्चा में क्यों?
हाल ही में, मन की बात कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री ने BRT टाइगर रिज़र्व के सोलिगा जनजातीय समुदाय की प्रशंसा करते हुए बाघ संरक्षण में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।
सोलिगा जनजाति के बारे में
- सोलिगा एक स्वदेशी, वन-निवासी समुदाय हैं जो मुख्य रूप से तमिलनाडु और कर्नाटक में पाया जाते है।
 - "सोलिगा" नाम का अनुवाद "बाँस के बच्चे" होता है, जो प्रकृति के साथ उनके गहरे संबंध और उससे उत्पन्न होने में उनके विश्वास का प्रतीक है।
 - वे बिलिगिरी रंगना पहाड़ियों और माले महादेश्वर पहाड़ियों के आसपास के वन क्षेत्रों में निवास करते हैं।
 - वर्ष 2011 में, सोलिगा बाघ अभयारण्य में रहने वाला पहला जनजातीय समुदाय बन गया, जिसके वन अधिकारों को न्यायालय द्वारा कानूनी मान्यता दी गई।
 
भाषा एवं जीवनशैली
- सोलिगा लोग कन्नड़ और तमिल के साथ-साथ शोलागा, जो एक द्रविड़ भाषा है, बोलते हैं।
 - उनके घर आमतौर पर बाँस और मिट्टी से बनी एक कमरे वाली झोपड़ियाँ होती हैं।
 - अपनी सतत् जीवन पद्धतियों के लिये जाने जाने वाले ये लोग प्राकृतिक सामग्रियों से अद्वितीय उपयोगी वस्तुएँ बनाते हैं, जैसे कि 'जोट्टाई', जो पत्तियों से बना एक कप है।
 
विश्वास और धर्म: कुछ हिंदू परंपराओं का पालन करते हुए, सोलिगा लोग प्रकृतिवाद और जीववाद का भी अनुसरण करते हैं, जो प्रकृति के साथ गहरे आध्यात्मिक संबंध पर ज़ोर देता है।
अर्थव्यवस्था और आजीविका
- परंपरागत रूप से, उनकी अर्थव्यवस्था झूम कृषि और लघु वनोपज के संग्रहण पर आधारित है।
 - शहद उनके आहार में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, तथा वे अपना अधिकांश भोजन पश्चिमी घाट की समृद्ध जैवविविधता से प्राप्त करते हैं।