08-Sep-2025

आत्म-सम्मान आंदोलन के 100 वर्ष

इतिहास

चर्चा में क्यों?

2025 ई.वी. रामासामी (पेरियार) द्वारा 1925 में शुरू किए गए आत्म-सम्मान आंदोलन की शताब्दी (100 वर्ष) है। जातिगत भेदभाव को चुनौती देने, तर्कवाद को बढ़ावा देने और तमिलनाडु तथा अन्य स्थानों पर आत्म-सम्मान विवाह और महिला नेतृत्व जैसे सुधारों में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए इस आंदोलन पर पुनर्विचार किया जा रहा है।

  • महत्त्वपूर्ण तथ्य:
    • वर्ष 1925 में ई.वी. रामासामी (पेरियार) द्वारा तमिलनाडु में आरंभ किया गया।
    • बाद में उन्होंने द्रविड़ कड़गम और तमिल साप्ताहिक कुडी अरासु (Kudi Arasu) की स्थापना की।
    • ज्योतिराव फुले और बी.आर. अंबेडकर से प्रभावित होकर उन्होंने वैकोम सत्याग्रह में भाग लिया।
  • उद्देश्य:
    • जाति प्रथा का उन्मूलन, ब्राह्मणवादी प्रभुत्व का विरोध, तार्किकता और गरिमा को बढ़ावा देना, इन उद्देश्यों को नामथु कुरिकोल और तिरवितक कलाका लेतैयम (Tiravitak Kalaka Lateiyam) में स्पष्ट किया गया।
  • विशेषताएँ:
    • आत्म-सम्मान विवाह की स्थापना की (बिना पंडित के, कानूनी रूप से वैध)।
    • देवदासी प्रथा और जातिगत भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया तथा विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दिया।
    • महिलाओं के नेतृत्व को प्रोत्साहित किया – प्रमुख हस्तियाँ: अन्नाई मीनांबल, वीरमल।
      • मीनांबल ने ई.वी. रामासामी को ‘पेरियार’ की उपाधि प्रदान की जबकि बी.आर. अंबेडकर ने उन्हें “मेरी बहन मीना” के रूप में संबोधित किया।