08-Sep-2025

राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर

इतिहास

चर्चा में क्यों?

नौसेना प्रमुख ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) का दौरा किया।

  • यह एक महत्त्वाकांक्षी सांस्कृतिक और पर्यटन परियोजना है जिसका उद्देश्य भारत की 4,500 वर्ष पुरानी समुद्री विरासत को प्रदर्शित करना और विश्व में सबसे बड़ा समुद्री विरासत परिसर स्थापित करना है।
    • प्रमुख परियोजनाओं में विश्व स्तरीय दीपस्तंभ संग्रहालय, तटीय राज्यों के मंडप और समुद्री थीम पर आधारित ईको-रिसॉर्ट शामिल हैं।
  • सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) का विकास कर रहा है तथा दीपस्तंभ व दीपपोत महानिदेशालय (DGLL) द्वारा विश्व के सबसे ऊँचे दीपस्तंभ संग्रहालय का वित्तपोषण किया जा रहा है।

लोथल

  • यह गुजरात के भाल क्षेत्र में, खंभात की खाड़ी के निकट, भोगावो एवं साबरमती नदियों के मध्य स्थित सबसे दक्षिणी हड़प्पा स्थल है।
  • नाम का अर्थ – “मृतकों का टीला” (मोहनजोदड़ो की भाँति)।
  • वर्ष 1954 में एस.आर. राव द्वारा खोजा गया; अप्रैल 2014 में इसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के लिये नामित किया गया।
  • यह विश्व के सबसे प्राचीन ज्ञात गोदीबाड़ा (डॉक) (जो प्राचीनकालीन साबरमती नदी के मार्ग से नगर को जोड़ता था) एवं मणि-आभूषण उद्योगशालाएँ तथा मेसोपोटामिया एवं मिस्र (~4,000 वर्ष पूर्व) के साथ समुद्री व्यापार के लिये प्रसिद्धि रखता है।