02-Sep-2025
25वाँ शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन
विविध
चर्चा में क्यों?
भारतीय प्रधानमंत्री ने चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 25वीं बैठक में भाग लिया।
- तियानजिन घोषणा आतंकवाद की निंदा की गई (पहलगाम हमले का उल्लेख); सीमा-पार आतंकवाद और उग्रवादी समूहों के उपयोग को समाप्त करने का आह्वान।
- लाओस को साझेदार देश के रूप में स्वीकार किया गया; इसी के साथ SCO की कुल सदस्य संख्या 27 हो गई।
- वैश्विक शासन पहल (GGI) ने सार्वभौम समानता, बहुपक्षवाद और न्यायपूर्ण वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा दिया, जो भारत के “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” दृष्टिकोण को परिलक्षित करता है।
- सदस्य देशों ने संयुक्त राष्ट्र (UN) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाले एकतरफा आर्थिक प्रतिबंध जैसे कदमों का विरोध किया।
- नाज़ीवाद, नव-नाज़ीवाद, नस्लवाद और ज़ेनोफोबिया के विरुद्ध UNGA प्रस्ताव का स्वागत किया।
- गाज़ा और ईरान में सैन्य कार्रवाइयों की निंदा; अफगानिस्तान में समावेशी शासन पर बल।
- SCO विकास बैंक की स्थापना पर बल दिया गया।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की स्थापना वर्ष 2001 में; मुख्यालय बीजिंग (चीन) में।
वैश्विक बहुपक्षवाद में SCO की भूमिका और चुनौतियाँ
- SCO: विश्व GDP का 23% और जनसंख्या का 42% प्रतिनिधित्व करता है; ग्लोबल साउथ की अभिव्यक्ति हेतु महत्त्वपूर्ण है तथा पश्चिमी गठबंधनों को चुनौती देता है।
- मध्य एशियाई देश, चीन और रूस के वर्चस्व के कारण असंतोष व्यक्त करते हैं, जिससे “शंघाई स्पिरिट” की समानता प्रभावित होती है।
- अफगानिस्तान कोंटेंट ग्रुप और RATS के माध्यम से आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद पर कार्य।
- RATS वास्तविक आतंकवादी समूहों पर प्रभावहीन; पाकिस्तान की भूमिका से विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न।
- INSTC, चाबहार बंदरगाह, SCO बिज़नेस काउंसिल और इंटरबैंक कंसोर्टियम के माध्यम से आर्थिक सहयोग।
- SCO समझौते (जैसे परिवहन समझौता) प्रभावी रूप से लागू नहीं; मध्य एशिया का अंतर-क्षेत्रीय व्यापार ASEAN (25%) की तुलना में बहुत कम।
- पारंपरिक चिकित्सा, बौद्ध धरोहर और डिजिटल समावेशन के क्षेत्र में भारत की पहलें—ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं के अनुरूप हैं।
- मध्य एशिया में व्यापार वृद्धि स्थानीय कारकों से प्रेरित, न कि SCO से।