03-Sep-2025
भारत में न्यायिक नियुक्तियों संबंधी कॉलेजियम प्रणाली
भारतीय राजनीति
चर्चा में क्यों?
कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित दो नए न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 34 हो गई।
कॉलेजियम प्रणाली
- न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण (उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय) से संबंधित भारत की न्यायिक प्रणाली ।
- यह सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों (विशेषकर तीन न्यायाधीशों के मामलों) से विकसित है, जिसका संविधान में प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है।
न्यायाधीशों की नियुक्ति का संवैधानिक आधार
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कॉलेजियम प्रणाली के पक्ष और विपक्ष में तर्क
पक्ष में तर्क
- शक्तियों के पृथक्करण (अनुच्छेद 50) को बनाए रखने के क्रम में कार्यपालिका और विधायिका से न्यायिक प्रक्रिया को स्वतंत्र रखने में सहायक।
- वरिष्ठ न्यायाधीश संभावित न्यायाधीशों की विधिक कुशलता एवं निष्ठा का आकलन करने में सबसे बेहतर स्थिति में होते हैं; इससे नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का जोखिम कम हो जाता है।
विपक्ष में तर्क
- बिना किसी पारदर्शिता के गोपनीयता से कार्य करने के कारण भाई-भतीजावाद एवं पक्षपात (अंकल जज सिंड्रोम) को बढ़ावा मिलता है।
- शक्तियाँ कुछ न्यायाधीशों में केंद्रित रहती है। उच्च न्यायालय के 79% न्यायाधीश (वर्ष 2018-2022) उच्च जातियों से संबंधित हैं और इसमें हाशिये पर स्थित समुदायों/महिलाओं का प्रतिनिधित्व सीमित है।
- उच्च न्यायालयों में 331 न्यायिक रिक्तियों (वर्ष 2024) से नियुक्तियों में विलंब पर प्रकाश पड़ता है।
- कॉलेजियम को प्रतिस्थापित करने के क्रम में प्रस्तावित NJAC (99वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2014) को वर्ष 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था।