03-Sep-2025

भारत में न्यायिक नियुक्तियों संबंधी कॉलेजियम प्रणाली

भारतीय राजनीति

चर्चा में क्यों?

कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित दो नए न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ ही सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या 34 हो गई।

कॉलेजियम प्रणाली

  • न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण (उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय) से संबंधित भारत की न्यायिक प्रणाली ।
  • यह सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों (विशेषकर तीन न्यायाधीशों के मामलों) से विकसित है, जिसका संविधान में प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है।

न्यायाधीशों की नियुक्ति का संवैधानिक आधार

  • अनुच्छेद 124: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) एवं अन्य न्यायाधीशों के परामर्श से किये जाने का उल्लेख।
  • अनुच्छेद 217: CJI, राज्यपाल और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से राष्ट्रपति द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति का उल्लेख।
  • तदर्थ न्यायाधीश (अनुच्छेद 127): यदि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का कोरम पूरा न हो तो CJI (राष्ट्रपति की सहमति से) द्वारा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को सर्वोच्च न्यायालय में आमंत्रित किया जा सकता है।
  • कार्यवाहक CJI (अनुच्छेद 126): रिक्ति/अनुपस्थिति की स्थिति में, राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के उपलब्ध किसी वरिष्ठतम न्यायाधीश को इस हेतु नियुक्त किये जाने का उल्लेख।
  • सेवानिवृत्त न्यायाधीश (अनुच्छेद 128): CJI, राष्ट्रपति की सहमति से सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से निर्दिष्ट अवधि के लिये सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने का अनुरोध कर सकते हैं।

कॉलेजियम प्रणाली के पक्ष और विपक्ष में तर्क

पक्ष में तर्क

  • शक्तियों के पृथक्करण (अनुच्छेद 50) को बनाए रखने के क्रम में कार्यपालिका और विधायिका से न्यायिक प्रक्रिया को स्वतंत्र रखने में सहायक।
  • वरिष्ठ न्यायाधीश संभावित न्यायाधीशों की विधिक कुशलता एवं निष्ठा का आकलन करने में सबसे बेहतर स्थिति में होते हैं; इससे नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का जोखिम कम हो जाता है।

विपक्ष में तर्क

  • बिना किसी पारदर्शिता के गोपनीयता से कार्य करने के कारण भाई-भतीजावाद एवं पक्षपात (अंकल जज सिंड्रोम) को बढ़ावा मिलता है।
  • शक्तियाँ कुछ न्यायाधीशों में केंद्रित रहती है। उच्च न्यायालय के 79% न्यायाधीश (वर्ष 2018-2022) उच्च जातियों से संबंधित हैं और इसमें हाशिये पर स्थित समुदायों/महिलाओं का प्रतिनिधित्व सीमित है।
    • उच्च न्यायालयों में 331 न्यायिक रिक्तियों (वर्ष 2024) से नियुक्तियों में विलंब पर प्रकाश पड़ता है।
  • कॉलेजियम को प्रतिस्थापित करने के क्रम में प्रस्तावित NJAC (99वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2014) को वर्ष 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था।