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29 जुलाई, 2024

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 29-Jul-2024

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  करेंट अफेयर्स  

मनु भाकर ने पेरिस 2024 में कांस्य पदक जीता

चर्चा में क्यों?

मनु भाकर ओलंपिक में निशानेबाज़ी में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। उन्होंने पेरिस 2024 ओलंपिक में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्द्धा में कांस्य पदक प्राप्त किया।

मनु भाकर का परिचय:

  • वह हरियाणा के झज्जर ज़िले के गोरिया गाँव की रहने वाली हैं।
  • कॅरियर
    • उन्होंने 2017 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में रजत पदक जीता
    • 2017 के राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने कई विश्व कप पदक विजेता हीना सिद्धू को पीछे छोड़ते हुए नौ स्वर्ण पदक जीते
    • उन्होंने हुएन लैंग्लन (एक मणिपुरी मार्शल आर्ट), मुक्केबाज़ी, टेनिस एवं स्केटिंग सहित विभिन्न खेलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
    • उन्होंने 2018 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता तथा अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज़ी खेल महासंघ (ISSF) विश्व कप में स्वर्ण जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बनीं
    • 2021 टोक्यो ओलंपिक में पिस्तौल की खराबी के कारण उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

पेरिस ओलंपिक 2024

  • आयोजन: 2024 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक
  • आयोजन अवधि: 26 जुलाई से 11 अगस्त 2024
  • मेज़बान शहर: पेरिस
  • पेरिस की स्थिति: ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की मेज़बानी तीसरी बार
  • फ्राँस की स्थिति: कुल मिलाकर छठी बार मेज़बानी (ग्रीष्म एवं शीतकालीन)
  • पिछला फ्राँसीसी ओलंपिक: अल्बर्टविले में 1992 शीतकालीन ओलंपिक

सांस्कृतिक संपत्ति समझौता (CPA)

चर्चा में क्यों

भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी एवं भारतीय संस्कृति मंत्रालय के सचिव गोविंद मोहन ने 46वीं विश्व धरोहर समिति में दोनों देशों के मध्य CPA पर हस्ताक्षर किये।

समझौते के विषय में

  • उद्देश्य: सांस्कृतिक संपत्ति की अवैध तस्करी को रोकना एवं पुरावस्तुओं को उनके मूल स्थान पर वापस लाना।
  • CPA, 1970 के संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) कन्वेंशन के अनुच्छेद 9 के अनुरूप है, जो सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात एवं स्वामित्व के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करता है तथा निषेध के साधनों आधारित है।
  • यह अमेरिकी सीमा शुल्क पर भारतीय पुरावशेषों को शीघ्र ज़ब्त करने तथा उन्हें भारत वापस भेजने में सहायक होगा
  • भारत ने वर्ष 1976 से अब तक 358 पुरावशेषों को वापस भेजा है, इनमें से 345 को वर्ष 2014 के बाद से वापस लाया गया है।

1970 के सम्मेलन के विषय में

  • यह सांस्कृतिक संपत्ति के आयात, निर्यात एवं हस्तांतरण को प्रतिबंधित करने और रोकने के लिये उठाए जाने वाले उपायों पर राष्ट्र पक्षों के लिये एक सामान्य ढाँचा प्रदान करता है
  • आज तक, इसे 145 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया है।

चराइदेव मोईदम्स/मैदाम

चर्चा में क्यों?

असम के चराइदेव मैदाम के नाम से भी जानी जाने वाली टीला-दफन प्रणाली मोइदम को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक वैज्ञानिक सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की विश्व धरोहर सूची में शामिल कर लिया गया है। विश्व धरोहर समिति के चल रहे 46वें सत्र के दौरान इसकी घोषणा की गई। यह भारत की 43वीं संपत्ति है जिसे यहाँ शामिल किया गया है तथा काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं मानस वन्यजीव अभयारण्य के बाद असम की तीसरी विश्व धरोहर संपत्ति है।

चराईदेव मोईदम्स/मैदाम के विषय में

  • यह असम के ताई अहोम समुदाय की उत्तर मध्यकालीन (13वीं-19वीं शताब्दी) टीले पर दफनाने की परंपरा का प्रतिनिधित्व करता है।
  • इसमें अहोम राजघराने के सदस्यों के पार्थिव अवशेष रखे गए हैं, जिन्हें उनके साजो-सामान के साथ दफनाया जाता था।
  • 18वीं शताब्दी के उपरांत, अहोम शासकों ने दाह संस्कार की हिंदू पद्धति को अपनाया और दाह संस्कार के बाद बची हुई हड्डियों तथा राख को चराइदेव मोईदम्स में दफनाना आरंभ कर दिया।
  • अब तक खोजे गए 386 मोइदम या मैदाम में से चराइदेव में 90 शाही दफन स्थल सर्वोत्तम रूप से संरक्षित हैं, अहोमों की टीले पर दफनाने की परंपरा के प्रतिनिधि एवं पूर्ण उदाहरण हैं।

अहोम राजवंश के विषय में

  • यह राज्य असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में 1228 में स्थापित हुआ था और इसने 600 वर्षों तक अपनी संप्रभुता बनाए रखी।
  • इसकी स्थापना 13वीं शताब्दी के शासक चाओलुंग सुकाफा ने की थी।
  • उन्होंने इस क्षेत्र पर तब तक शासन किया जब तक कि 1826 में यंडाबू की संधि पर हस्ताक्षर करके इस प्रांत को ब्रिटिश भारत में शामिल नहीं कर लिया गया।
  • 24 फरवरी, 1826 को यंडाबू की संधि पर ब्रिटिश पक्ष से जनरल कैंपबेल और बर्मी पक्ष से लेगिंग के गवर्नर महा मिन हला क्याव हतिन ने हस्ताक्षर किये थे।
    • इस संधि से प्रथम आंग्ल-बर्मी युद्ध औपचारिक रूप से समाप्त हो गया
    • उन्होंने भुइयाँ (ज़मींदारों) की पुरानी राजनीतिक व्यवस्था को समाप्त कर एक नया राज्य बनाया।
  • अहोम राज्य बलात श्रम पर निर्भर था। राज्य के लिये काम करने के लिये बाध्य किये जाने वालों को पाइक कहा जाता था।
  • वे कुलों या खेलों में विभाजित थे, एक खेल अक्सर कई गाँवों को नियंत्रित करता था।
  • वे अपने आदिवासी देवताओं की पूजा करते थे, फिर भी उन्होंने हिंदू धर्म एवं असमिया भाषा को आचरण के रूप में रखा था।
  • अहोम सेना की टुकड़ी में पैदल सेना, नौसेना, तोपखाना, हाथी सेना, घुड़सवार सेना एवं जासूस शामिल थे।
  • युद्ध के लिये मुख्य हथियारों में धनुष-बाण, तलवारें, भाले, चक्र, बंदूकें, मशाल एवं तोपें शामिल थीं।
  • अहोम सैनिक गुरिल्ला युद्ध में पारंगत थे।

 


  सामान्य ज्ञान  

टाइफून गेमी

  • गठन: गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों पर भारी बारिश के साथ उत्पन्न होता है।
  • इसने मूसलाधार बारिश लाकर व्यापक विनाश किया है।
  • ये तीव्र गोलाकार तूफान हैं जो 119 किमी./घंटा से अधिक गति और भारी बारिश के साथ गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों पर उत्पन्न होते हैं।
  • यह उत्तरी गोलार्द्ध में वामावर्त घूमता है।
  • प्रभावित क्षेत्र
    • ताइचंग,
    • फिलिपींस
    • झेजियांग और वेनझोउ, 
  • शब्दावली
    • टाइफून - चीन सागर और प्रशांत महासागर
    • तूफान - पश्चिमी भारतीय द्वीप, कैरेबियन सागर, अटलांटिक महासागर
    • बवंडर - पश्चिमी अफ्रीका के गिनी भूमि, दक्षिणी अमेरिका
    • विली-विलीज़ - उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया
    • उष्णकटिबंधीय चक्रवात - हिंद महासागर क्षेत्र


एशियाई आपदा तैयारी केंद्र (APDC)

  • स्थापना: वर्ष 1986
  • मुख्यालय: बैंकॉक, थाईलैंड
  • अध्यक्ष: राजेंद्र सिंह, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के विभागाध्यक्ष
  • संस्थापक सदस्य: भारत, बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, नेपाल, पाकिस्तान, फिलीपींस, श्रीलंका और थाईलैंड
  • यह एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आपदा जोखिम न्यूनीकरण तथा जलवायु लचीलापन निर्माण के सहयोग एवं कार्यान्वयन के लिये एक स्वायत्त अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
  • भारत ने चीन का स्थान लेते हुए वर्ष 2024-25 के लिये ADPC की अध्यक्षता संभाली है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA)

  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की स्थापना भारत सरकार द्वारा अधिनियमित आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के माध्यम से की गई थी और दिसंबर 2006 में औपचारिक रूप से इसका गठन किया गया था।
  • यह देश में आपदा प्रबंधन के लिये एक वैधानिक निकाय है।
  • यह आपदाओं के लिये समय पर और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने हेतु आपदा प्रबंधन के लिये नीतियाँ, योजनाएँ एवं दिशा-निर्देश निर्धारित करने वाला सर्वोच्च निकाय भी है।
  • उद्देश्य: प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाओं के लिये प्रतिक्रिया का समन्वय करना और आपदा लचीलापन तथा संकट प्रतिक्रिया में क्षमता निर्माण करना।
  • संगठनात्मक संरचना
    • प्रधानमंत्री NDMA के पदेन अध्यक्ष है
    • कैबिनेट मंत्री इसके उपाध्यक्ष होते हैं।
    • सचिव की अध्यक्षता में NDMA सचिवालय, सचिवीय सहायता और निरंतरता प्रदान करने के लिये ज़िम्मेदार है।
    • इसके साथ ही, NDMA के आठ राज्य मंत्री भी इसके सदस्य हैं