04-Jun-2025

अरावली पर्वत शृंखला

पर्यावरण और पारिस्थितिकी

चर्चा में क्यों? 

भारत के प्रधानमंत्री प्राचीन अरावली श्रृंखला के पुनर्जीवन के लिये विश्व पर्यावरण दिवस 2025 पर अरावली ग्रीन वॉल पहल का शुभारंभ करेंगे। 

अरावली पुनर्जीवन अभियान क्या है? 

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा केंद्र के नेतृत्व में पर्यावरण पुनर्स्थापन पहल, जिसका उद्देश्य 700 किलोमीटर लंबी अरावली पर्वतमाला को पुनर्जीवित करना और पुनः वनरोपण करना है। 

मुख्य उद्देश्य 

  • भूमि क्षरण पर अंकुश लगाना तथा 29 ज़िलों में मरुस्थलीकरण के प्रसार को रोकना। 
  • पारिस्थितिक स्थिरता पुनर्स्थापित करने और देशी जैवविविधता की रक्षा के लिये हरित आवरण को बढ़ाना। 
  • भारत की जलवायु प्रतिज्ञाओं (NDC से UNFCCC) के अंतर्गत कार्बन अवशोषण लक्ष्यों का समर्थन करना। 
  • जल निकायों को पुनर्जीवित करना और स्थानीय समुदाय की भागीदारी को प्रोत्साहित करना। 

अरावली पर्वतमाला: परिचय 

आवृत्त राज्य: दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात- कुल लगभग 670 किलोमीटर तक विस्तृत।

भौगोलिक एवं पारिस्थितिक महत्त्व 

  • यह विश्व की सबसे प्राचीन वलित पर्वत शृंखलाओं में से एक है, जिसका इतिहास प्रोटेरोज़ोइक युग से संबंधित है। 
  • यह एक प्राकृतिक दीवार के रूप में कार्य करता है जो थार रेगिस्तान को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में विस्तारित होने से रोकता है। 
  • उच्चतम बिंदु: गुरु शिखर (माउंट आबू, राजस्थान) – 1,722 मीटर। 
  • महत्त्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थल: 
    • बनास, साहिबी (यमुना की सहायक नदियाँ) 
    • लूनी (कच्छ के रण में बहती है) 
  • यह प्राचीन चट्टान संरचनाओं से बना है तथा ताँबा, ज़स्ता और संगमरमर जैसे खनिजों से समृद्ध है। 

अरावली के विभाग 

  • सांभर-सिरोही रेंज (गुरु शिखर शामिल) 
  • सांभर-खेतड़ी रेंज (बिखरी हुई चोटियों द्वारा चिह्नित) 

MCQ के माध्यम से तैयारी 

प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन-सा राज्य अरावली पर्वतमाला का हिस्सा नहीं है?   

(1) गुजरात 
(2) पंजाब 
(3) राजस्थान 
(4) दिल्ली 

उत्तर: (2) पंजाब