11-Sep-2025
ज्ञान भारतम मिशन
संक्षिप्त समाचार
चर्चा में क्यों?
ज्ञान भारतम् मिशन के अंतर्गत 'पांडुलिपि विरासत के माध्यम से भारत की ज्ञान विरासत की पुनर्प्राप्ति' विषय पर आयोजित प्रथम ज्ञान भारतम् अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में संस्कृति मंत्रालय ने हड़प्पा लिपि के कूटवाचन पर शोध प्रस्तुत करने के लिये विशेषज्ञों को आमंत्रित किया।
- केंद्रीय बजट 2025-26 में इसकी घोषणा किये जाने के साथ इस मिशन का उद्देश्य भविष्य की पीढ़ियों के लिये परंपरा और प्रौद्योगिकी का सम्मिश्रण करते हुए भारत की पांडुलिपि विरासत का संरक्षण और प्रसार करना तथा इसे डिजिटाइज़ करना है।
चरण |
विवरण |
चरण I |
संस्थागत ढाँचे की स्थापना, पायलट डिजिटलीकरण परियोजनाओं की शुरुआत और मुख्य क्षमता निर्माण हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन |
चरण II |
राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉज़िटरी का निर्माण और उन्नत प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म्स के क्रियान्वन के माध्यम से पहुँच का विस्तार |
चरण III |
आउटरीच पहलों का विस्तार, जिसमें प्रदर्शनियाँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल हैं और रिपॉज़िटरी को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार से एकीकृत करना |
- मिशन के घटक:
- पांडुलिपियों की राष्ट्रव्यापी पहचान और प्रसूचीकरण।
- वैज्ञानिक और परंपरागत विधियों का उपयोग कर संवेदनशील ग्रंथों की सुरक्षा।
- AI-सहाय प्रदत्त अंकीकरण और एक राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉज़िटरी का निर्माण।
- हस्तलिखित विषय वाक्य पहचान और ज्ञान-सेतु AI इनोवेशन चैलेंज जैसे साधन।
- महत्त्व:
- कृति संपदा में 44 लाख से अधिक पांडुलिपियाँ प्रलेखित हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में भारत के ज्ञान को संरक्षित करती हैं।
- सांस्कृतिक विरासत को महत्त्व देने और संरक्षित करने के लिये अनुच्छेद 51A(f) (मूल कर्त्तव्य) के अनुरूप है।
- यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुरूप है, जो भारतीय ज्ञान प्रणालियों को आधुनिक शिक्षा में एकीकृत करता है।
हड़प्पा (सिंधु घाटी) लिपि
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