22-Oct-2024
भारत-चीन संबंध
वैश्विक मामले
चर्चा में क्यों?
भारत और चीन ने विवादित सीमा क्षेत्रों से सफलतापूर्वक अपनी वापसी पूरी कर ली है। मई 2020 से पहले की स्थिति बहाल हो गई है और दोनों देश गश्त नियमों पर सहमत हो गए हैं। यह दोनों देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
भारत-चीन सीमा विवाद: एक जटिल और विकसित होता रिश्ता
- भारत-चीन सीमा, जो 3,488 किलोमीटर तक फैली हुई है, स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है, और कुछ क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कोई सहमति नहीं है।
- सीमा को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है:
- ऐतिहासिक संदर्भ
- सीमा विवाद की जड़ें ब्रिटिश औपनिवेशिक काल तक जाती हैं।
- वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, नवगठित भारतीय सरकार को चीन के साथ एक जटिल और अस्पष्ट सीमा विरासत में मिली।
- वर्ष 1914 में ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा खींची गई मैकमोहन रेखा को चीन ने अस्वीकार कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप हिमालय के विशाल भूभाग पर दावे परस्पर विरोधी हो गए।
- विवाद के मुख्य बिंदु
- यह विवाद विशेष रूप से पूर्वोत्तर भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश में गंभीर है, जिसे चीन अपने तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा बताता है।
- विवाद के अन्य क्षेत्रों में पश्चिमी लद्दाख में अक्साई चिन क्षेत्र, जिस पर चीन ने 1960 के दशक से नियंत्रण कर रखा है, तथा सिक्किम सीमा शामिल है।
- नवीन गतिविधि:
- हाल के वर्षों में सीमा विवाद तीव्र हो गया है, तथा भारत और चीन दोनों ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य निर्माण और बुनियादी ढाँचे के विकास में संलग्न हैं।
- दोनों सेनाओं के बीच कई बार गतिरोध और झड़पें हुई हैं, जिनमें वर्ष 2020 में गलवान घाटी में हुई घातक झड़प भी शामिल है।
- समाधान के लिये प्रयास
- मौजूदा तनाव के बावजूद, भारत और चीन दोनों सीमा विवाद को सुलझाने के लिये कूटनीतिक प्रयास कर रहे हैं।
- वार्ता और समझौता वार्ता के कई दौर हो चुके हैं, लेकिन प्रगति धीमी रही है और चुनौतियाँ भी भरी रही हैं।