26-Sep-2024
ईश्वर चंद्र विद्यासागर
इतिहास
- जन्म: 26 सितंबर 1820, पश्चिम बंगाल
- संस्कृत और दर्शन पर उनकी निपुणता के लिये उन्हें वर्ष 1839 में विद्यासागर की उपाधि दी गई।
- मृत्यु: 29 जुलाई 1891, 70 वर्ष की आयु में।
- शिक्षाविद् के रूप में उनकी भूमिका
- उन्होंने सार्वभौमिक शिक्षा की वकालत की और उनका मानना था कि जाति या लिंग की परवाह किये बिना सभी को शिक्षा तक पहुँच मिलनी चाहिये।
- उन्होंने निम्न जाति के व्यक्तियों के लिये संस्कृत महाविद्यालय खोला और आधुनिक उपयोग के लिये प्राचीन ग्रंथों के अध्ययन और पुनर्व्याख्या को प्रोत्साहित किया।
- उन्होंने हुगली, मिदनापुर, बर्दवान और नादिया में 20 मॉडल स्कूल स्थापित किये तथा उनके प्रशासन और शिक्षक भर्ती की देखरेख की।
- उन्होंने पाठ्यक्रम में अंग्रेज़ी, पश्चिमी विज्ञान और गणित को शामिल किया तथा प्रवेश एवं शिक्षण शुल्क लागू किया।
- उन्होंने रविवार को साप्ताहिक अवकाश घोषित किया तथा मई और जून में ग्रीष्मकालीन अवकाश की स्थापना की।
- उन्होंने बंगाली भाषा के लेखन और शिक्षण में सुधार करके बंगाली शिक्षा प्रणाली में क्रांति ला दी।
- एक सुधारवादी
- वह 19 वीं सदी के बहुश्रुत थे जिनके उल्लेखनीय योगदान से भारत में महिलाओं की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
- उनके अथक प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 1856 में तत्कालीन भारत सरकार द्वारा विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित किया गया ।
- विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा देने के लिये उन्होंने अपने पुत्र नारायण चंद्र बंद्योपाध्याय को विधवा से विवाह करने के लिये प्रोत्साहित किया।
- उन्होंने महिला शिक्षा की वकालत की और बाल विवाह प्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- उन्होंने कुलीन ब्राह्मण बहुविवाह की सामाजिक प्रथा का भी विरोध किया , जिसके कारण बाल विवाह और विधवाओं के साथ दुर्व्यवहार सहित महिलाओं का गंभीर शोषण होता था।
- उनकी साहित्यिक कृतियाँ
- बेताल पंचविंसती (वर्ष 1847)
- बांग्ला इतिहास (वर्ष 1848)
- जीवनचरित (वर्ष 1849)
- शकुंतला (वर्ष 1854)
- महाभारत (वर्ष 1860)
- सीतार वनवास (वर्ष 1860)
- भ्रांतिविलास (वर्ष 1869)
- ओटी अल्पा होइलो (वर्ष 1873)
- आबार ओटी अल्पा होइलो (वर्ष 1873)
- ब्रजाविलास (वर्ष 1884)
- रत्नोपरीक्षा (वर्ष 1886)
- सुधारों पर साहित्यिक कृतियाँ
- बिधोबाबिवा (वर्ष 1855): विधवाओं के पुनर्विवाह के अधिकार पर केंद्रित।
- बहुविवाह (वर्ष 1871): बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाने की वकालत की।
- बाल्यविवाह : बाल विवाह के दोषों की आलोचना।