28-May-2025
मैडेन-जूलियन दोलन
भूगोल
चर्चा में क्यों?
मैडेन-जूलियन दोलन (MJO) इस वर्ष भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के सबसे पहले आगमन का प्रमुख कारण था।
मैडेन जूलियन दोलन (MJO) क्या है?
मैडेन-जूलियन दोलन उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक पैटर्न है, जो हर कुछ सप्ताह से लेकर कुछ महीनों की अवधि में मौसम में परिवर्तन लाता है। यह दुनिया के कई हिस्सों में, खास तौर पर भूमध्य रेखा के पास, बारिश, तूफान और मौसम को प्रभावित करता है।
MJO की मुख्य विशेषताएँ
- यह बादलों, हवा और वर्षा के प्रवाह के रूप में भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ता है।
- यह चक्र प्रत्येक 30 से 60 दिन में दोहराया जाता है।
- यह भारतीय और प्रशांत महासागरों के ऊपर सबसे अधिक दिखाई देता है।
- MJO उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में वर्षा और तूफानों को बदलकर मौसम को प्रभावित करता है।
MJO के चरण:
MJO के दो मुख्य चरण हैं:
- उन्नत वर्षा चरण (संवहनी चरण)
- हवाएँ सतह पर एक साथ आती हैं, जिससे हवा ऊपर उठती है।
- ऊपर उठती हवा ठंडी हो जाती है और अधिक वर्षा एवं बादल उत्पन्न करती है।
- अधिक ऊँचाई पर हवाएँ विपरीत दिशा में बहती हैं।
- निम्न वर्षा चरण
- ऊँचाई पर हवाएँ आपस में मिलकर हवा को नीचे की ओर धकेलती हैं।
- नीचे जाती हुई हवा गर्म होकर शुष्क हो जाती है, जिससे वर्षा और बादल कम हो जाते हैं।
- यह पैटर्न पश्चिम से पूर्व की ओर गतिमान होता है, जिसकी सक्रिय (enhanced) अवस्था के दौरान वर्षा वाला मौसम तथा दबी (suppressed) अवस्था के दौरान शुष्क मौसम देखने को मिलता है।
भारतीय मानसून पर प्रभाव:
- जब मानसून के दौरान MJO हिंद महासागर के ऊपर होता है, तो इससे भारत में वर्षा बढ़ जाती है।
- यदि MJO प्रशांत महासागर के ऊपर अधिक समय तक रहेगा तो यह मानसून को कमज़ोर कर सकता है और वर्षा को कम कर सकता है।
- छोटे MJO चक्र (लगभग 30 दिन) का मतलब आमतौर पर बेहतर मानसून वर्षा होती है।
- लंबे चक्र (40 दिन से अधिक) कमज़ोर मानसून या सूखे का कारण बन सकते हैं।
- एल नीनो जैसी अन्य घटनाओं के साथ-साथ MJO मानसून की मज़बूती में प्रमुख भूमिका निभाता है।