16-Apr-2025
राष्ट्रीय आपातकाल
भारतीय राजनीति
अर्थ
- अनुच्छेद 352: युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण आपातकाल।
- 1978 के 44वें संशोधन अधिनियम द्वारा "आंतरिक अशांति" के स्थान पर "सशस्त्र विद्रोह" शब्द प्रतिस्थापित किया गया।
घोषणा के आधार
- जब भारत या उसके किसी भाग की सुरक्षा को युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के कारण खतरा उत्पन्न हो।
घोषणा की प्रक्रिया
- राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के लिये केवल प्रधानमंत्री की सलाह पर्याप्त नहीं होती, बल्कि मंत्रिपरिषद (कैबिनेट) की लिखित अनुशंसा (सर्वसम्मति) अनिवार्य होती है।
- मिनर्वा मिल्स बनाम भारत सरकार मामला (1980) में सर्वोच्च न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि यदि राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा दुर्भावनापूर्ण (माला फाइड), असंगत या बेतुके कारणों पर आधारित हो, तो उसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
अनुमोदन
- इस घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत (कुल सदस्यता का बहुमत तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई बहुमत) द्वारा इसके जारी होने के एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिये।
- यदि यह घोषणा उस समय जारी की जाती है जब लोकसभा भंग हो गई हो या एक माह की अवधि के दौरान विघटन हो गया हो, तो यह घोषणा नवगठित लोकसभा की पहली बैठक के 30 दिन बाद तक प्रभावी रहती है, बशर्ते कि राज्य सभा ने इसे पहले ही अनुमोदित कर दिया हो।
अवधि
- यदि संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से इसे मंजूरी दे दी जाती है, तो आपातकाल छह महीने तक जारी रहता है।
- इसे प्रति छह महीने में संसदीय अनुमोदन से अनिश्चित काल तक बढ़ाया जा सकता है।
निरसन
- राष्ट्रपति किसी भी समय घोषणा द्वारा इसे निरस्त कर सकते हैं, जिसके लिये संसदीय अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती।
- यदि लोकसभा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के साधारण बहुमत से आपातकाल को जारी रखने के विरुद्ध अस्वीकृति प्रस्ताव पारित कर देती है, तो आपातकाल को तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए।
केंद्र-राज्य संबंध
- कार्यपालिका: केंद्र को "किसी भी मामले" पर राज्य को कार्यकारी निर्देश देने का अधिकार हो जाता है।
- विधायी: संसद राज्य सूची में उल्लिखित किसी भी विषय पर कानून बना सकती है। यदि संसद सत्र में नहीं है, तो राष्ट्रपति ऐसे विषयों पर अध्यादेश जारी कर सकते हैं।
- राज्य विधानसभाओं को निलंबित नहीं किया जाता है। हालाँकि, राज्य के विषयों पर संसद द्वारा बनाए गए कानून आपातकाल समाप्त होने के छह महीने बाद तक प्रभावी रहते हैं।
- वित्तीय क्षेत्र में: राष्ट्रपति केंद्र और राज्यों के बीच राजस्व के संवैधानिक वितरण को संशोधित कर सकते हैं।
लोकसभा और राज्य विधानसभा का कार्यकाल
- आपातकाल की स्थिति में संसद लोकसभा के सामान्य कार्यकाल (5 वर्ष) से अधिक समय तक उसका कार्यकाल एक-एक वर्ष की अवधि के लिये बढ़ा सकती है।
- यही प्रावधान राज्य विधानसभाओं पर भी लागू होता है।
- यह विस्तार आपातकाल समाप्त होने के छह माह बाद तक ही प्रभावी रहता है।