24-Sep-2024
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (NBFC)
भारतीय अर्थव्यवस्था
चर्चा में क्यों
RBI के अध्ययन के अनुसार, नियामकों द्वारा पैमाने-आधारित विनियमनों - आकार, गतिविधि और जोखिम के स्तर से संबंधित एक रूपरेखा को अपनाने के बाद वर्ष 2022 से NBFC के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। लेकिन इसने यह भी चेतावनी दी है कि उन्हें साइबर-सुरक्षा और जलवायु जोखिमों के प्रति सतर्क रहने और जोखिमों की सक्रिय रूप से पहचान करने तथा उनका प्रबंधन करने की आवश्यकता है
NBFC:
- ये कंपनियाँ कंपनी अधिनियम 1956 या कंपनी अधिनियम 2013 के तहत पंजीकृत हैं
- वे विभिन्न वित्तीय गतिविधियों में शामिल होते हैं जैसे उधार देना, प्रतिभूतियों में निवेश करना, पट्टे पर देना, बीमा आदि
- वे न्यूनतम 12 महीने और अधिकतम 60 महीने के लिये सार्वजनिक जमाराशि स्वीकार कर सकते हैं
- वे मांग जमा स्वीकार नहीं कर सकते
- वे भुगतान एवं निपटान प्रणाली का हिस्सा नहीं होते हैं तथा स्वयं पर चेक जारी नहीं कर सकते हैं
- NBFC का वर्गीकरण
- जमा के आधार पर
- जमा स्वीकार करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय
- गैर-जमा (नॉन-डिपॉज़िट) लेने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय
- उनकी प्रमुख गतिविधि की प्रकृति के आधार पर:
- निवेश और ऋण कंपनी
- कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन
- मुख्य निवेश
- कंपनी (CIC)
- इंफ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी (IFC)/इंफ्रास्ट्रक्चर डेट फंड (IDF)
- परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियाँ (ARC)
- फैक्टरिंग कंपनियाँ
- स्वर्ण ऋण कंपनियाँ
- फिनटेक कंपनियाँ: P2P ऋणदाता
नोट
|