19-Feb-2025
पीएम आशा
विविध
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार ने हाल ही में 15वें वित्त आयोग चक्र के माध्यम से प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना को जारी रखने की मंज़ूरी दी है, जिससे इसका कार्यान्वयन वर्ष 2025-26 तक बढ़ गया है।
पीएम आशा: परिचय
प्रभावी खरीद संचालन और मूल्य समर्थन तंत्र के माध्यम से किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने के लिये एक व्यापक पहल।
- मंत्रालय: कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय
- कार्यान्वयन एजेंसियाँ: राज्य सरकारों के समन्वय में NAFED और NCCF जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियाँ
मुख्य घटक
- मूल्य समर्थन योजना (PSS)
- नाफेड और NCCF के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर दालों, तिलहन और खोपरा की खरीद।
- इसमें राष्ट्रीय उत्पादन का 25% कवर किया जाएगा, सिवाय तुअर, उड़द और मसूर के, जिनकी वर्ष 2024-25 तक 100% खरीद होगी।
- मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF)
- बाज़ार मूल्यों को स्थिर रखने के लिये दालों और प्याज का बफर स्टॉक बनाए रखा गया है।
- जमाखोरी को रोकता है और उपभोक्ताओं के लिये सस्ती आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
- मूल्य घाटा भुगतान योजना (PDPS)
- किसानों को MSP और बाज़ार मूल्य के बीच के अंतर की भरपाई करता है।
- चार महीने के लिये तिलहन उत्पादन को 40% तक बढ़ाया गया।
- बाज़ार हस्तक्षेप योजना (MIS)
- लाभकारी मूल्य प्रदान करके शीघ्र खराब होने वाली बागवानी फसलों को समर्थन प्रदान करना।
- उत्पादन का 25% कवर किया जाता है तथा किसानों को भौतिक खरीद के बजाय सीधे भुगतान किया जाता है।
प्रमुख विशेषताएँ
- MSP खरीद की गारंटी: किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलता है।
- दालों में आत्मनिर्भरता: अगले चार वर्षों के लिये तुअर, उड़द और मसूर की 100% खरीद की प्रतिबद्धता।
- आयात पर निर्भरता में कमी: दालों के आयात पर निर्भरता को कम करने के लिये घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित किया जाता है।
- प्रत्यक्ष किसान पंजीकरण: किसान पूर्व-पंजीकरण करा सकते हैं और सीधे खरीद केंद्रों पर बेच सकते हैं।
- बाज़ार मूल्य स्थिरीकरण: मूल्य में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करता है और किफायती खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करता है।