03-Jul-2025
निजता का अधिकार
चर्चा में क्यों?
मद्रास उच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार पर ज़ोर देते हुए फैसला सुनाया कि अगर गोपनीय अपराधों का पता लगाने के लिये टेलीफोन टैपिंग की जाती है तो यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है। टेलीफोन टैपिंग केवल सार्वजनिक आपातकाल या सुरक्षा खतरे की स्थिति में ही वैध मानी जा सकती है। इस निर्णय ने भारतीय कानून के तहत निजता संरक्षण को और मज़बूत किया है।
निजता का अधिकार
निजता का अधिकार व्यक्तियों को व्यक्तिगत डाटा को नियंत्रित करने, स्वतंत्र विकल्प चुनने और निगरानी से सुरक्षित रहने की अनुमति देता है।
- कानूनी आधार
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भारत में: अनुच्छेद 21 के अंतर्गत निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है (के.एस. पुट्टस्वामी बनाम भारत संघ, 2017)
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वैश्विक स्तर पर: अनुच्छेद 12 ( मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा, 1948) और अनुच्छेद 17 (नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि, 1966) में निजता के अधिकार का उल्लेख किया गया है।
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निजता के अधिकार का दायरा
- व्यक्तिगत स्वायत्तता: शारीरिक अखंडता, गरिमा और निर्णय लेने की क्षमता।
- डाटा संरक्षण: डिजिटल और संवेदनशील व्यक्तिगत डाटा पर नियंत्रण।
- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: बिना किसी निगरानी के भय के खुलकर बोलने की स्वतंत्रता।
- निगरानी संरक्षण: ट्रैकिंग और हस्तक्षेप से सुरक्षा।
कानूनी ढाँचा
- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000: धारा 43A-डाटा उल्लंघन की स्थिति में मुआवज़े का प्रावधान।
- निगरानी संबंधी कानून
- भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885
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सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (सीमित शर्तों के तहत कानूनी निगरानी की अनुमति)
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बी.एन. श्रीकृष्ण समिति (2018): एक समर्पित डाटा संरक्षण कानून बनाने की सिफारिश की।
डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण अधिनियम, 2023
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MCQ के माध्यम से तैयारीप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन भारत में मान्यता प्राप्त निजता के अधिकार का सबसे अच्छा वर्णन करता है? (1) यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत केवल एक वैधानिक अधिकार है। |