20-May-2025
शिरुई लिली महोत्सव
पर्यावरण और पारिस्थितिकी
चर्चा में क्यों?
शिरुई लिली महोत्सव मणिपुर के उखरुल शहर और शिरुई गाँव में आयोजित किया जाता है, जहाँ तांगखुल नागा समुदाय बहुसंख्यक है।
शिरुई लिली महोत्सव
- मणिपुर में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह सांस्कृतिक आयोजन उखरूल ज़िले की शिरुई पहाड़ियों में पाई जाने वाली दुर्लभ व संकटग्रस्त शिरुई लिली के सम्मान में मनाया जाता है
- मणिपुर के पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित यह महोत्सव सांस्कृतिक विरासत, टिकाऊ पर्यटन और पारिस्थितिक संरक्षण को बढ़ावा देता है।
पृष्ठभूमि
- शिरुई लिली एक दुर्लभ गुलाबी-सफेद फूल है, जो शिरुई पहाड़ियों में 8,500 फीट की ऊँचाई पर उगता है।
- इसकी खोज वर्ष 1946 में ब्रिटिश वनस्पतिशास्त्री फ्रैंक किंगडन वार्ड की पत्नी जीन मैकलिन ने की थी।
- वर्ष 1950 के लंदन फ्लावर शो में इसे वैश्विक मान्यता प्राप्त हुई।
2025 में होने वाली घटनाएँ
- पारंपरिक तांगखुल नागा नृत्य, लोक गीत और आदिवासी खेल।
- आधुनिक कार्यक्रम जैसे शिरॉक संगीत उत्सव, ट्रैकिंग, कैंपिंग, बाइकिंग और शिरुई लिली ग्रांड प्रिक्स।
- सांस्कृतिक गतिविधियाँ: साहित्य महोत्सव, मिस शिरुई लिली प्रतियोगिता, ड्रोन शो, खाना पकाने की प्रतियोगिता और बुनाई प्रदर्शनी।
उखरुल गाँव
- इंफाल से 83 किमी दूर उखरुल मणिपुर का सबसे ऊँचा हिल स्टेशन है और तांगखुल नागा जनजाति का घर है।
- आकर्षण: कांगखुई चूना गुफाएँ और लोंगपी गाँव (औषधीय काले बर्तनों के लिये प्रसिद्ध)।