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 29-Apr-2025

विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ पर भारत का दावा

भूगोल

चर्चा में क्यों? 

भारत ने हाल ही में मध्य अरब सागर में अपने दावे का विस्तार किया है, जिससे उसके विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ का दायरा लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर बढ़ गया है। पाकिस्तान के साथ लंबे समय से चले आ रहे समुद्री सीमा विवाद को और बढ़ाने से बचने के लिये भारत ने अपने पहले के दावे में भी संशोधन किया है। 

समुद्री सीमा पर विवाद 

  • विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ): तटीय देशों को अपने विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र में समुद्री संसाधनों पर विशेष अधिकार प्राप्त हैं, जो उनकी तटरेखा से 200 समुद्री मील तक विस्तृत है। 
    • यह क्षेत्र स्थल से लेकर समुद्रतल तक निरंतर विस्तृत है। 
    • इसे देश के विस्तारित महाद्वीपीय शेल्फ का हिस्सा माना जाता है। 
  • भारत ने सर्वप्रथम अपना दावा वर्ष 2009 में संयुक्त राष्ट्र निकाय, महाद्वीपीय शेल्फ की सीमा आयोग (CLCS) के समक्ष प्रस्तुत किया था। 
  • वर्ष 2021 में पाकिस्तान ने विशेष रूप से विवादित सर क्रीक क्षेत्र के संबंध में आपत्ति व्यक्त की। 
  • मार्च 2023 में, CLCS ने अरब सागर में भारत के मूल दावे को रद्द कर दिया, लेकिन संशोधित दावा प्रस्तुत करने की अनुमति दी।

 

महाद्वीपीय शेल्फ की सीमाओं पर आयोग (CLCS): परिचय  

  • CLCS मुख्यालय: संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क। 
  • उद्देश्य: किसी देश के महाद्वीपीय शेल्फ को 200 समुद्री मील से आगे बढ़ाने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) के कार्यान्वयन में सहायता करना। 
  • अनुशंसाओं की प्रकृति: CLCS द्वारा जारी अनुशंसाएँ अंतिम हैं और तटीय राज्यों पर बाध्यकारी हैं। 

सर क्रीक: परिचय 

  • सर क्रीक 96 किलोमीटर लंबा विवादित ज्वारीय मुहाना है। 
  • यह अरब सागर तक विस्तारित है तथा पाकिस्तान के सिंध प्रांत और भारत के गुजरात के कच्छ क्षेत्र के बीच एक विभाजक के रूप में कार्य करता है। 
  • 1947 में, भारत ने इस समस्या के समाधान के लिये थलवेग सिद्धांत (नेविगेबल चैनल के मध्य बिंदु पर सीमा निर्धारित करने) का समर्थन किया।
  • हालाँकि, पाकिस्तान ने यह तर्क दिया कि सर क्रीक नेविगेबल नहीं है, जिससे थालवेग सिद्धांत के तहत समझौते पर विवाद उत्पन्न हुआ।