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 28-Apr-2025

पंचायती राज संस्थाएँ (PRI)

भारतीय राजनीति

भारत में पंचायती राज संस्थाओं (PRI): ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 

भारत में पंचायती राज संस्थाओं (PRI) का समृद्ध इतिहास है, जो प्राचीन प्रथाओं पर आधारित है: 

  • प्राचीन जड़ें: पंचायत प्रणाली वैदिक युग (लगभग 1500-500 ईसा पूर्व) से चली आ रही है, जहाँ पंचायतें (पाँच बुज़ुर्गों की समितियाँ) ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय करने और विवादों को सुलझाने के लिये ज़िम्मेदार थीं। 
  • स्वतंत्रता-पूर्व काल: औपनिवेशिक भारत में, पंचायतें कानून और व्यवस्था बनाए रखने और स्थानीय मुद्दों को सुलझाने में शामिल थीं। अंग्रेज़ों ने भूमि राजस्व संग्रह के लिये राजस्व पंचायतों की अवधारणा भी शुरू की। 
  • स्वतंत्रता के पश्चात: स्वतंत्रता के पश्चात, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन सुनिश्चित करने और ज़मीनी स्तर पर समुदायों को सशक्त बनाने के लिये पंचायती राज संस्थाओं को संस्थागत रूप दिया गया। 

पंचायती राज संस्थाओं के संबंध में संवैधानिक प्रावधान 

73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं (PRI) को भारतीय शासन के मूलभूत भाग के रूप में स्थापित किया। 

  • त्रिस्तरीय प्रणाली: इस अधिनियम ने गाँव, ब्लॉक और ज़िला स्तर पर पंचायतों की त्रिस्तरीय प्रणाली शुरू की, जिससे विकेंद्रीकृत शासन को बढ़ावा प्राप्त हुआ। 
  • प्रमुख प्रावधान 
    • सीटों का आरक्षण: अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और महिलाओं के लिये। 
    • नियमित चुनाव: लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने हेतु नियमित चुनाव अनिवार्य किया गया। 
    • वित्त आयोग: वित्तीय प्रबंधन और संसाधन आवंटन की देख-रेख के लिये राज्य वित्त आयोग। 
    • शक्तियाँ एवं कार्य: पंचायतों को आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिये योजनाएँ तैयार करने का अधिकार दिया गया।

पंचायत उन्नति सूचकांक (PAI) 

  • पंचायती राज मंत्रालय ने भारत में 2.5 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों (GP) की प्रगति का आकलन करने के लिये पंचायत उन्नति सूचकांक (Panchayat Advancement Index- PAI) लॉन्च किया है। 
  • PAI स्थानीयकृत SDG (LSDG) के नौ विषयों में पंचायतों के प्रदर्शन को मापता है 
    1. गरीबी मुक्त एवं समृद्ध आजीविका (Poverty-Free and Enhanced Livelihoods)
    2. स्वस्थ पंचायत (Healthy Panchayat)
    3. बाल-हितैषी पंचायत (Child-Friendly Panchayat)
    4. जल-पर्याप्त पंचायत (Water-Sufficient Panchayat)
    5. स्वच्छ एवं हरित पंचायत (Clean and Green Panchayat)
    6. आत्मनिर्भर बुनियादी ढाँचा संपन्न पंचायत (Panchayat with Self-Sufficient Infrastructure)
    7. सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण एवं सुरक्षित पंचायत (Socially Just and Secured Panchayat)
    8. सुशासन युक्त पंचायत (Panchayat with Good Governance)
    9. महिला-हितैषी पंचायत (Women-Friendly Panchayat) 
  • ये विषय वैश्विक लक्ष्यों को स्थानीय आवश्यकताओं के साथ संरेखित करते हैं, जिससे पंचायतों को समग्र ग्रामीण विकास के लिये अनुरूप रणनीति तैयार करने में सहायता मिलती है।