25-Jun-2025
पंचायती राज संस्थाएँ
भारतीय राजनीति
चर्चा में क्यों?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चार राज्यों के मुख्यमंत्रियों से ग्राम पंचायतों के राजस्व को बढ़ाने का आग्रह किया और कहा कि इससे पंचायती राज व्यवस्था सशक्त होगी।
पंचायती राज संस्थाएँ (PRIs)
- PRIs भारत में ग्रामीण स्थानीय स्वशासन का प्रतिनिधित्व करती हैं, जहाँ लोग सीधे स्थानीय प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं।
- ये शासन का तीसरा स्तर बनाती हैं और गाँव स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा देती हैं।
- यह प्रणाली स्थानीय निर्णय-निर्माण, उत्तरदायित्व और ग्रामीण विकास सुनिश्चित करती है।
संवैधानिक प्रावधान
- अनुच्छेद 40 (नीति निदेशक तत्त्व): राज्यों को ग्राम पंचायतों की स्थापना तथा उन्हें सशक्त करने का निर्देश देता है।
- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992:
- पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
- संविधान में भाग IX (अनुच्छेद 243–243O) जोड़ा गया।
- ग्यारहवीं अनुसूची को जोड़ा गया, जिसमें पंचायतों के अधीन 29 विषय सूचीबद्ध हैं।
विकास
- 1957: बलवंतराय मेहता समिति ने PRIs की सिफारिश की।
- 1959:
- राजस्थान ने सबसे पहले पंचायती राज व्यवस्था लागू की।
- आंध्र प्रदेश दूसरा राज्य बना।
- आरंभिक ढाँचों में राज्यों के बीच विविधता थी।
- 1992: 73वें संशोधन ने PRIs को एक समान ढाँचे में स्थापित कर राज्यों के लिये अनिवार्य बना दिया।
पंचायती राज संस्थाओं का संवैधानिकीकरण
- विभिन्न समिति सिफारिशों के आधार पर 73वाँ संशोधन लाया गया, जिससे:
- PRIs को संविधान में औपचारिक दर्जा मिला।
- इनकी संरचना, शक्तियाँ व कार्यक्षेत्र सभी राज्यों पर कानूनी रूप से बाध्यकारी हो गए।
MCQ के माध्यम से तैयारीप्रश्न. किस संविधान संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा दिया? (1) 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976 उत्तर: (3) 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992 |