15-Apr-2025
आरक्षित विधेयकों पर राष्ट्रपति के निर्णय के लिये सर्वोच्च न्यायालय ने तय की समयसीमा
भारतीय राजनीति
चर्चा में क्यों?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने राज्य विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपाल द्वारा की जा रही अनिश्चितकालीन देरी के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर निर्णय देते हुए कहा कि राष्ट्रपति को राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होगा।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय: मुख्य बातें
- पृष्ठभूमि: यह निर्णय तमिलनाडु सरकार की नवंबर 2023 की याचिका के उत्तर में आया, जिसमें राज्यपाल पर 10 विधेयकों को स्वीकृति न देने का आरोप लगाया गया था, जिनमें से कुछ 2020 से लंबित थे।
- न्यायिक समीक्षा की अनुमति: पहली बार, सर्वोच्च न्यायालय ने राज्यपाल द्वारा विधेयक को अनावश्यक रूप से विलंबित करने पर न्यायिक हस्तक्षेप की अनुमति दी।
- समय-सीमा निर्धारित: संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत राज्यपाल द्वारा भेजे गए किसी भी विधेयक पर राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होगा।
- पूर्ण वीटो पर: न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल और राष्ट्रपति "पूर्ण वीटो" शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकते, क्योंकि ऐसी निरंकुश शक्तियाँ संवैधानिक मानदंडों के अनुरूप नहीं हैं।
- अनुच्छेद 143 पर: सर्वोच्च न्यायालय ने इस बात पर ज़ोर दिया कि संवैधानिक संदेह के मामलों में, संघीय कार्यपालिका को एकतरफा निर्णय लेने के बजाय अनुच्छेद 143 के तहत सर्वोच्च न्यायालय की सलाहकार राय लेनी चाहिये।