08-May-2025
गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA)
भारतीय राजनीति
चर्चा में क्यों?
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2023 के संसद विरोध प्रदर्शन में आरोपी दो व्यक्तियों पर UAPA के आवेदन पर चिंता व्यक्त की और इस बात पर ज़ोर दिया कि हालाँकि यह विरोध प्रदर्शन महत्त्वपूर्ण था, लेकिन यह जरूरी नहीं कि आतंकवादी कृत्य के रूप में योग्य हो।
गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA): परिचय
UAPA का विकास
- 1966 - UAPA अध्यादेश जारी: व्यक्तियों और संगठनों द्वारा गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिये 17 जून, 1966 को राष्ट्रपति द्वारा गैरकानूनी गतिविधिययाँ (रोकथाम) अध्यादेश जारी किया गया, जिसके परिणामस्वरूप 1967 में UAPA औपचारिक रूप से अधिनियमित हुआ।
- 1967 - स्थापना: राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाली गैरकानूनी गतिविधियों को रोकने के लिये UAPA को औपचारिक रूप से लागू किया गया, जिससे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति मिली।
- 1985 - विस्तारित केंद्र/फोकस: उग्रवाद और अलगाववादी आंदोलनों से निपटने के लिये संशोधन किया गया, जिससे गैरकानूनी गतिविधियों का दायरा व्यापक हो गया।
- 2004 - आतंकवाद विरोधी प्रावधान: TADA (1987) और POTA (2002) को निरस्त करने के बाद आतंकवाद को विशेष रूप से संबोधित करने के लिये UAPA में संशोधन किया गया, जो आतंकवाद को लक्षित करने वाले अस्थायी कानून थे।
- 2008 - 26/11 के बाद संशोधन: आतंकवाद की परिभाषा का विस्तार किया गया तथा कारावास और जमानत की शर्तें सख्त की गईं।
- 2012 - आर्थिक सुरक्षा: आर्थिक सुरक्षा को आतंकवाद के हिस्से के रूप में शामिल किया गया तथा जाली मुद्रा की तस्करी को आतंकवादी कृत्य घोषित किया गया।
- 2019 - व्यक्तियों को आतंकवादी नामित करने का अधिकार: संशोधन ने सरकार को व्यक्तियों को आतंकवादी नामित करने की अनुमति दी और साइबर आतंकवाद और वित्तपोषण के लिये प्रावधान जोड़ गए।
अवलोकन
- UAPA को व्यक्तियों और संगठनों द्वारा विशिष्ट गैरकानूनी गतिविधियों को अधिक प्रभावी ढंग से रोकने, आतंकवादी कृत्यों से निपटने और संबंधित मुद्दों का प्रबंधन करने के लिये पेश किया गया था।
- अधिनियम के तहत गैरकानूनी गतिविधियों में भारत के किसी भी हिस्से को अलग करने या पृथक करने का समर्थन करना या उकसाना या इसकी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देना या उसका अनादर करना शामिल है।
- राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को UAPA द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर मामलों की जाँच और मुकदमा चलाने का अधिकार दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, NIA के महानिदेशक को एजेंसी द्वारा जाँच के दौरान संपत्ति की ज़ब्ती या कुर्की को मंज़ूरी देने का अधिकार है।