सूर्य की घूर्णन गति में अक्षांशीय परिवर्तन
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
30-Sep-2024
चर्चा में क्यों?
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) के खगोलविदों ने कोडईकनाल सौर वेधशाला से 100 वर्ष के दैनिक सौर रिकॉर्ड का उपयोग पहली बार सूर्य के विभेदक घूर्णन का मानचित्रण करने के लिये किया है। अध्ययन से अक्षांशों में अलग-अलग घूर्णन गति का पता चलता है, जिसमें भूमध्य रेखा प्रति 25 दिन और ध्रुव प्रति 35 दिन में घूमते हैं, जो सौर गतिशीलता और चक्रों को समझने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
सूर्य
- प्रकार : यह हमारे सौरमंडल के केंद्र में स्थित एक G-प्रकार का मुख्य-अनुक्रम तारा (G ड्वार्फ) है।
- पृथ्वी से दूरी : लगभग 93 मिलियन मील (150 मिलियन किलोमीटर), जिसे खगोलीय इकाई (AU) के रूप में जाना जाता है।
- आयु : अनुमानतः यह लगभग 4.6 अरब वर्ष पुराना है।
- संरचना: इसमें विभिन्न परतें होती हैं, जिनमें से प्रत्येक की अलग-अलग विशेषताएँ और तापमान होते हैं -
- प्रकाशमंडल (Photoosphere): वह दृश्य सतह जो आंतरिक भाग और वायुमंडल के बीच की सीमा को चिह्नित करती है।
- वर्णमण्डल (क्रोमोस्फीयर): प्रकाशमण्डल के ऊपर एक अनियमित परत जहाँ तापमान 6000°C से लगभग 20,000°C तक बढ़ जाता है।
- संक्रमण क्षेत्र: वायुमंडल की एक पतली और बहुत अनियमित परत जो गर्म कोरोना को बहुत ठंडे क्रोमोस्फीयर से अलग करती है।
- कोरोना: यह बाहरी वायुमंडल है। यह अंतर्निहित क्रोमोस्फीयर या फोटोस्फीयर से बहुत अधिक गर्म है।
- कोरोना के परे सौरवायु है, जो कोरोना से निकलने वाले आवेशित कणों (प्लाज्मा) का बाहरी प्रवाह है।
- सौर वायु अंतरिक्ष में दूर तक फैलती है, जो ग्रहों के वायुमंडल को प्रभावित करती है तथा पृथ्वी पर ध्रुवीय ज्योति जैसी घटनाएँ उत्पन्न करती है।
- 19वीं शताब्दी में अंग्रेज़ खगोलशास्त्री रिचर्ड कैरिंगटन ने सर्वप्रथम सूर्य के धब्बों का अवलोकन करके विभेदक घूर्णन की खोज की थी।
- इसकी भूमध्य रेखा 13.98 डिग्री प्रतिदिन घूमती है, जबकि 80 डिग्री अक्षांश पर घूर्णन दर धीमी होकर 10.5 डिग्री प्रतिदिन हो जाती है।
कोडईकनाल सौर वेधशाला
- स्थान: कोडाइकनाल, तमिलनाडु
- इस वेधशाला की स्थापना 1899 में भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA) द्वारा सौर परिघटनाओं का अध्ययन करने तथा मानसून पैटर्न को बेहतर ढंग से समझने के लिये की गई थी।
- इस वेधशाला में 100 से अधिक वर्षों से किये गए सौर अवलोकन, सौर डेटा की सबसे लंबी सतत शृंखला प्रदान करते हैं।
- इनमें से एक प्रमुख उपलब्धि 1909 में एवरशेड प्रभाव की खोज थी, जो सौर वायुमंडल में गैसों की गति से संबंधित है।
- कोडईकनाल 15-सेमी. सौर दूरबीन, जो अभी भी प्रयोग में आने वाली सबसे पुरानी सौर दूरबीनों में से एक है।
भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA)
- मुख्यालय: बंगलूरू
- स्थापना : वर्ष 1971
- निर्देशक: अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम
- उद्देश्य: तारकीय खगोल विज्ञान, ग्रह विज्ञान, सौर भौतिकी और ब्रह्मांड विज्ञान सहित खगोल भौतिकी और अंतरिक्ष विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में उन्नत अनुसंधान करना।